ई-पुस्तकें >> ऑथेलो (नाटक) ऑथेलो (नाटक)रांगेय राघव
|
0 |
Othello का हिन्दी रूपान्तर
ग्रेशियानो : स्त्री गिर गई! निश्चित ही उसने हत्या कर दी।
इमीलिया : आह, उसने मुझे मार डाला... मुझे मेरी स्वामिनी के पास ही लिटाना...
ग्रेशियानो : वह भाग गया, किन्तु उसकी स्त्री मारी गई!
मोनटानो : यह तो बड़ा भारी बदमाश था। यह लीजिए, यह शस्त्र जो मैंने अभी मूर से छीन लिया है। आइए, द्वार पर दृष्टि रखिए। उसे जाने न दें; अगर भागने की चेष्टा करे तो जान से मार डालें! मैं उसी बदमाश के पीछे जाता हूँ, कैसा नीच गुलाम है!
(सब जाते हैं; ऑथेलो और इमीलिया रह जाते हैं।)
ऑथेलो : अब मुझमें वह वीरता भी नहीं रही। एक तुच्छ व्यक्ति मेरे हाथ से मेरी तलवार छीन ले गया! और ईमानदारी से हटकर सम्मान रहे भी कहाँ? जाने दो, सब कुछ जाने दो!
इमीलिया : तुम्हारे गीत ने क्या भविष्य की छाया दिखा दी देवी! सुनती हो! क्या मेरी सुन रही हो? मैं हँसिनी हूँ संगीत में मेरा अन्त है। ( कहते हैं, मरते समय हंस गाता है।)
(गीत)
चीड़ के ऊँचे घने तरु की
सलोनी छाँह में
दीन मन कितनी न भर ली आह हैं
गीत गाल जा सलोनी बेल से...
मूर ! वह पतिव्रता स्त्री थी... वह तुम्हें प्यार करती थी निर्दय मूर! मैंने सत्य कहा है, मेरी आत्मा पवित्र हो... मैंने सत्य कहा है... यही कहते हुए मै मरती हूँ.. मैं मरती हूँ...
(मृत्यु)
|