ई-पुस्तकें >> ऑथेलो (नाटक) ऑथेलो (नाटक)रांगेय राघव
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Othello का हिन्दी रूपान्तर
ऑथेलो : नहीं, यदि तूने प्रयत्न किया...
डैसडेमोना : केवल आध घण्टा और...
ऑथेलो : अब क्या देर, जब निश्चय हो गया...
डैसडेमोना : एक बार प्रार्थना तो कर लूँ...
ऑथेलो : अब बहुत देर हो गई।
(गला घोंटता है)
इमीलिया : (नेपथ्य से) स्वामी! प्रभु! स्वामी! मेरे प्रभु!
ऑथेलो : कौन बुला रहा है? क्या अभी नहीं मरी? मैं जो इतना निर्दयी हूँ फिर भी इतना दयालु हूँ...मैं तुझे वेदना में तड़पने नहीं दूँगा...ले...ले...
(फिर गला घोंटता है)
इमीलिया : (नेपथ्य से) स्वामी! सुनिए! प्रभु!
ऑथेलो : कौन है?
इमीलिया : (नेपथ्य से) मेरे स्वामी! मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूँ।
ऑथेलो : हाँ, वही है इमीलिया! ठहरो! वह मर गई है। मालूम देता है वह कैसियो की मौत की खबर देने आई है। हाँ! अब यह बिल्कुल नहीं हिलती। कब्र की तरह खामोश! चुप! क्या उसे भीतर बुला लूँ? क्या यह ठीक होगा? क्या यह फिर हिल रही है? नहीं! अब सबसे अच्छी बात क्या होगी! यदि वह भीतर आएगी तो वह ज़रूर मेरी स्त्री से बातें करेगी। मेरी स्त्री! मेरी पत्नी! कौन-सी पत्नी! मेरी कोई पत्नी नहीं है! ओ असहनीय! ओ भयानक क्षण! ऐसा लगता है जैसे चन्द्र और सूर्य को देर से ग्रहण ने ग्रसकर घोर अन्धकार कर दिया है और भयभीत पृथ्वी मुँह खोलकर भयानक जम्हाइयाँ ले रही हैं।
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