ई-पुस्तकें >> ऑथेलो (नाटक) ऑथेलो (नाटक)रांगेय राघव
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Othello का हिन्दी रूपान्तर
डैसडेमोना : किन्तु तुम्हें प्रेम करने से मुझे मरना होगा! क्या यह अस्वाभाविक नहीं? हाय! तुम क्यों अपने होंठ चबा रहे हो? अवश्य ही तुम्हारा हत्या करने का विचार है जो तुम इस तरह काँप रहे हो; किन्तु मुझे आशा है, मैं आशा करती हूँ, ये सब मेरे लिए तो नहीं है?
ऑथेलो : चुप रहो! शांत! हिलो नहीं!
डैसडेमोना : मैं नहीं हिलूँगी, लेकिन बात क्या है?
ऑथेलो : वह रूमाल जिसे मैं इतना चाहता था और मैंने तुम्हें दिया था, वह तुमने कैसियो को दे दिया?
डैसडेमोना : अपने जीवन और प्राणों की क़सम खाकर कहती हूँ-नहीं! उसे बुलाओ और पूछ लो!
ऑथेलो : ओ सुन्दर आत्मा! अब मिथ्या शपथ से सावधान रहो! तुम अपनी मृत्यु-शय्या पर हो।
डैसडेमोना : नहीं, अभी से मृत्यु के लिए तो नहीं?
ऑथेलो : हाँ-हाँ अभी। इसीलिए स्वतंत्रता से अपने-आपको स्वीकार कर लो! क्योंकि यदि तुम एक-एक करके भी उन्हें अस्वीकार करती जाओगी, तब कभी भी मेरे हृदय में से तुम्हारे अपराध की दृढ़ धारणा नहीं मिटेगी, जो मेरे हृदय को मथे दे रही है। तुम्हें मरना ही होगा।
डैसडेमोना : तब ईश्वर ही मेरा रक्षक है।
ऑथेलो : आमीन!
डैसडेमोना : मुझ पर दया करो! मैंने तुम्हें जीवन में कभी भी कुद्ध नहीं किया। भी कैसियो से प्रेम नहीं किया; उतना ही किया जितना ईश्वरीय नियमों से एक मनुष्य दूसरे से कर सकता है। मैंने कोई स्मृति-चिह्न नहीं दिया।
ऑथेलो : ईश्वर की शपथ! मैंने उसके हाथ में अपना रूमाल देखा है। ओ झूठी क़सम खाने वाली स्त्री! तूने मुझे पाषाणहृदय बना दिया है। तू मुझे हत्या की ओर प्रेरित कर रही है जबकि तेरे अंत को मैंने न्याय का बलिदान समझा था। मैंने स्वयं रूमाल देखा था।
डैसडेमोना : तो उसे मिल गया होगा। मैंने उसे कभी नहीं दिया। उसे बुलवाओ! उसे सत्य स्वीकार करने दो!
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