शब्द का अर्थ
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सज :
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स्त्री० [सं० सज्जा] [वि० सजीला] १. सजाने अथवा सजे हुए होने का गुण या भाव। सजावट। २. घठन या बनावट का ढंग। (स्टाइल) जैसे—इमारत की सज मुसलमानी है। ३. शोभा। ४. सुंदरता। पुं० [देश०] पियासाल नामक वृक्ष। |
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समानार्थी शब्द-
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सज-धज :
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स्त्री० [हिं० सज+धज अनु०] बनाव-सिंगार। सजावट। जैसे—उसकी बारात बहुत सजधज के निकली थी। |
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सज-बज :
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स्त्री=सजधज।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सजग :
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वि० [सं० जागरण] १. सावधान। सचेत। सतर्क। २. चालाक। होशियार। |
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सजड़ा :
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पुं०=सहिंजन वृक्ष)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सजदार :
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वि० [हिं० सज+फा० दार (प्रत्य०)] जिसकी सज या बनावट अच्छी हो। सुंदर। |
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सजन :
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पुं० [सं० सत्+जन=सज्जन] [स्त्री० सजनी] १. भला आदमी। सज्जन। शरीफ। २. स्त्री का पति। स्वामी। प्रियतम या प्रिय के लिए शिष्ट संबोधन। वि० [सं०] लोगो से युक्त। जन-सहित। |
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सजना :
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स० [सं० सज्जा] १. सज्जित करना। सजाना। २. शरीर पर कपड़े या हथियार आदि धारण करना। जैसे—सिपाहियों का ढाल, तलवार आदि से सजना। ३. कपड़े आदि पर साज टाँकना या लगाना। अ० १. आभूषण, वस्त्रादि से सज्जित या अलंकृत होना। सजाया जाना। पद—सजना-बजना=भली-भाँति या बहुत सज्जित होना। २. सेना या सैनिकों का अस्त्र-शस्त्र आदि से युक्त होना। ३. उपयुक्त, भला या सुंदर जान पड़ना। सुशोभित होना। पुं० १. =साजन। २. =सहिंजन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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सजनी :
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स्त्री० [हिं० सजन] १. सखी। सहेली। २. मिथला में गाये जाने वाले षट घबनी। (दे०) नामक लोक गीत का दूसरा नाम। |
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सजप :
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पुं० [सं० ब० स०] एक प्रकार के यति। |
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सजरी :
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स्त्री० [?] एक प्रकार की मीठी पूरी। |
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सजल :
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वि० [सं०] [स्त्री० सजला] १. जल से युक्त या पूर्ण। जिसमें पानी हो। २. तरल पदार्थ से युक्त। ३. आँसुओं से युक्त। जैसे—सजल नेत्र। ४. जिसमें आब या चमक हो। चमकदार। |
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सजला :
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वि०=सँझला।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सजवना :
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स०=सजाना। पुं०=सजावट।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सजवाई :
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स्त्री० [हिं० सजना+वाई (प्रत्य०)] सजवाने की क्रिया, भाव या पारिश्रमिक। |
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सजवाना :
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स० [हिं० सजाना का प्रे० रूप] सजाने का काम किसी से कराना। किसी को कुछ सजाने में प्रवृत्त करना। |
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सजा :
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स्त्री० [फा० सजा] १. अपराध आदि के कारण अपराधी को दिया जाने वाला दंड। २. कारागार या जेल में रखे जाने का दंड। कारावास। (इम्प्रिजनमेंट) |
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सजा-याफ्ता :
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वि० [फा० सजायाफतः] जिसने दंड विधान के अनुसार दंड पाया हो। जो सजा भोग चुका हो। |
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सजाइ :
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स्त्री०=सजा (दंड)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सजाई :
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स्त्री० [सं० सजाना+आई (प्रत्य)] सजाने की क्रिया, भाव या परिश्रामिक। स्त्री०=सजा (दंड)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सजागर :
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वि० [सं० अव्य० स०] १. जागता हुआ। २. सजग। होशियार। |
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सजात :
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वि० [सं०] १. जो किसी के साथ उत्पन्न हुआ हो। २. जो अपने संबंधियो से युक्त या उनके सहित हों। ३. जो उत्पत्ति, उदगम् अथवा आपेक्षिक स्थिति के विचार से एक प्रकार या वर्ग के हों। (होमोलोगम) |
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सजाति :
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वि० [सं० ब० स०] १. जो जाति या वर्ग में हो। २. (पदार्थ) जो एक ही प्रकार, प्रकृति या स्वरूप के हों। |
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सजातीय :
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वि० [सं० कर्म० स० जाति+छ-ईय] एक ही जाति या गोत्र के (दो याअधिक)। |
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सजात्य :
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वि० [सं० जाति्+यत्]=सजातीय। |
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सजान :
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वि० [सं० सज्ञान] १. जानकार। जानने वाला। २. चतुर। होशियार। |
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सजाना :
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सं० [सं० सज्जा] १. चीजें ऐसे क्रम और ढंग से रखना या लगाना कि वे आकर्शक और सुंदर जान पड़ें। जैसे—अलमारी में पुस्तकें सजाना। २. (व्यक्ति या स्थान) ऐसी चीजों से युक्त करना कि देखने में भला और सुंदर जान पड़े। अलंकृत करना। किसी चीज की शोभा या सुंदरता बढ़ने के लिए उसमें और भी अच्छी चीजें मिलाना या लगाना। (डेकोरेशन) |
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सजाय :
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वि० [सं० उपव्य० स०] जो अपनी जाया अर्थात पत्नी के साथ उपस्थित या वर्तमान हो। स्त्री०=सजा (दंड)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सजायाब :
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वि० [फा०] १. जो दंड पाने के योग्य हो। दंडनीय। २. जो कारागार का दंड भोग चुका हो। सजायाफ्ता। |
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सजाल :
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वि० [सं० उपव्य० स०] अयाल से युक्त। |
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सजाव :
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पुं० [सं० सजाना] एक प्रकार का दही। पुं०=सजावट।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सजावट :
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स्त्री० [हिं० सजाना] १. सजे हुए होने की अवस्था, क्रिया या भाव। जैसे—दुकान या मकान की सजावट। २. किसी चीज के आस-पास या इधर उधर पड़ने वाले खाली स्थानों में ऐसी चीजें भरना या लगाना जिनसे उनकी शोभा या सौन्दर्य बहुत बढ़ जाय। (डेकोरेशन) ३. शोभा। |
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सजावन :
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पुं० [सजाना] १. सजाने की क्रिया। अलंकृत करना। मंडन। २. तैयार करना। प्रस्तुत करना। |
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सजावल :
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पुं० [तु० सजावुल] १. सरकारी या उगाहने वाला कर्मचारी। तहसीलदार। २. राज-कर्मचारी। सरकारी नौकर। ३. सिपाहियों का जमादार। |
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सजावली :
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स्त्री० [हिं० सजावल] सजावल का पद या काम। |
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सजावार :
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वि० [फा०] जो दंड का भागी हो। जो सजा पाने के योग्य हो। दंडनीय। |
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सजिन :
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पुं०=सहिंजन। |
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सजीउ :
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वि०=सजीव।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सजीला :
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वि० [हिं० सजना+ईला (प्रत्य०)] [स्त्री० सजीली] १. सज-धज से या बनठनकर रहने वाला। छैला। २. सुंदर। आकर्षित। ३. जो बनावट के ढंग के विचार से बहुत अच्छा हो। सुंदर और सुडौल। तरहदार। (स्टाइलिश) |
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सजीव :
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वि० [सं० अव्य० स०] १. जीवयुक्त। जिसमें प्राण हों। २. जिसमें जीवनी-शक्ति है। ३. जो देखने में जीवयुक्त या जीवित सा जान पड़ता हो। ओज-पूर्ण। ४. तेज। फुरतीला। पुं० जीवधारी। प्राणी। |
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सजीवता :
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स्त्री० सं० सजीव+तल्—टाप] सजीव होने की अवस्था, गुण या भाव। सजीवपन। |
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सजीवन :
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पुं० [सं० सजीवन] संजीवनी नामक बूटी। |
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सजीवनी-मंत्र :
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पुं० [सं० संजीवन+मंत्र] १. वह कल्पित मंत्र जिसकेसंबंध में लोगो का विश्वास है कि मरे हुए मनुष्य या प्राणी को जिलाने की शक्ति रखता है। २. ऐसी मंत्रणा जिससे कठिन काम सहज में पूरा हो सका हो। |
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सजुग :
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वि०=सजग (सचेत)। |
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सजुता :
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स्त्री० [सं० संयुता] एक प्रक्रार का छंद जिसके प्रत्येक चरण में एक सगण, दो जगण और एक गुरु होता है। (सजजग) |
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सजूत :
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वि०=संयुत (संयुक्त)। |
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सजोना :
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स० [हिं० सजाना] १. सज्जित करना। श्रंगार करना। सजाना। २. आवश्यक सामग्री एकत्र करके व्यवस्थित रूप सरे रखना। दे० ‘सँजोना’। |
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सजोयल :
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वि०=सँजोइल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सज्ज :
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पुं०=साज।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० १. =सज्जा। २. =सेज।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सज्जक :
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पं० [सं० सज्ज+कन] सज्जा। सजावट। वि० सज्जा या सजावट करने वाला। |
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सज्जण :
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पुं० [सं०] १. =सज्जन। २. सज्जा। ३.=साजन। |
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सज्जता :
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स्त्री० [सं० सज्ज+तल्-टाप्] सज्जा अर्थात सजे हुए होन् का भाव। सजावट। |
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सज्जनता :
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स्त्री० [सं० सज्जन+तल्] सज्जन होने की अवस्था, गुण या भाव। |
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सज्जनताई :
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स्त्री०=सज्जनता। |
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सज्जा :
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स्त्री० [सं० सज्ज-अच्-टाप] १. सजाने की क्रिया या भाव। सजावट। २. वेष-भूषा। ३. कोई काम सुंदर रूप से प्रस्तुत करने के लिए सभी आवश्यक उपकरण, साधन आदि एकत्र करके यथा स्थान बैठाना या लगाना। ४. उक्त कार्य के लिए सभी आवश्यक और उपयोगी उपकरणों और साधनो का समूह। (ईक्विपमेन्ट, अंतिम दोनो अर्थों के लिए) स्त्री० [सं० शय्या] १. सोने की चारपाई शय्या। २. श्राद्ध आदि के समयमृतक के उद्देश्य से दान की जाने वाली शय्या जिसके साथ ओढ़ने, बिछाने आदि के कपड़े भी रहते हैं। वि० [सं० सव्य] दाहिना (पश्चिम)। |
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समानार्थी शब्द-
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सज्जाकला :
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स्त्री० [सं०] चीजों, स्थानों आदि को अच्छी तरह सजाकर आकर्षक तथा मनोहर बनाने की कला या विद्या। (डेकोरेटिव आर्ट) |
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समानार्थी शब्द-
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सज्जाद :
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वि० [अ०] सिंजदा करने वाला। पूजक। उपासक। |
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समानार्थी शब्द-
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सज्जाद नशीन :
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पुं० [अ० सज्जादः+फा० नशीन] मुसलमानों में वह पीर या फकीर जो गद्दी और तकिया लगाकर बैठता हो। |
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समानार्थी शब्द-
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सज्जादा :
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पुं० [अ० सज्जाद-] १. बिछाने का वह कपड़ा जिस पर मुसलमान नमाज पढ़ते हैं। मुसल्ला। २. पीर, फकीरों आदि की गद्दी। ३. आसन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सज्जान :
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पुं० [सं० कर्म० स०, सत्+जन्] १. भला आदमी। सत्पुरुष। शरीफ। २. अच्छे कुल का व्यक्ति। ३. प्रिय व्यक्ति। ४. पहरेदार। संतरी। ५. जलाशय या घाट। ६. दे० ‘सज्जा’। |
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समानार्थी शब्द-
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सज्जित :
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भू० कृ० [सं०√सज्ज् (सजावट करना)+क्त] १. जिसकी खूब सजावट हुई हो। सजाया हुआ। अलंकृत। आरास्ता। २. आलश्यक उपकरणो, साधनों, सामग्री आदि से युक्त। (इक्विपड्) जैसे—सज्जित सेना। |
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समानार्थी शब्द-
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सज्जी :
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स्त्री० [सं० सर्जि, सर्जिका] मिट्टी की तरह एक प्रकार का प्रसिद्ध क्षार जो सफेदी लिए हुए भूरे रंग का होता है। (फुलर्स अरिथ) |
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समानार्थी शब्द-
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सज्जीखार :
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पुं०=सज्जी। |
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समानार्थी शब्द-
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सज्जीबूटी :
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स्त्री० [सं० संजीवनी] क्षुप जाति की एक वनस्पति जिसकी शाखाएँ बहुत कोमल और पत्ते बहुत छोटे और तिकोने होते हैं। प्रायः इसी के डंठलों और पत्तियों से सज्जीखार तैयार होता है। |
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समानार्थी शब्द-
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सज्जुता :
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स्त्री० [सं० संयुता] संजुता या संयुता नामक छंद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सज्जे :
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सर्व० (सं० सर्व) सब। अव्य० पूरी तरह से। सर्वतः। अव्य० [सं० सव्य] दाहिनी ओर। (पश्चिम) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सज्ञान :
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वि० [सं० अव्य० स०] १. जिसे ज्ञान हो। ज्ञान वाला। २. समझदार। सयाना। ३. प्रौढ़। वयस्क। बालिग। ४. सचेत। सावधान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सज्या :
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स्त्री० १.=सज्जा। २.=शय्या। |
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समानार्थी शब्द-
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