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संघर्ष  : पुं० [सं०] १. कोई चीज घिसने, घोटने या रगड़ने की क्रिया। २. किसी चीज के कण अलग करने या उसका तल घटाने या घिसने के लिए की जानेवाली कोई ऐसी क्रिया जिसमें बल लगाकर किसी कड़ी चीज से बार बार रगड़ते हैं। रगड़। ३. दो विरोधी दलों या पक्षों में एक दूसरे को दबाने के लिए होनेवाला कोई ऐसा प्रयत्न जिसमें दोनों अपनी सारी शक्ति लगा देते और यथा-साध्य एक दूसरे का उपकार या हानि करने पर तुले रहते हैं। ४. उक्त के आधार पर, कठिनाइयों, बाधाओं आदि से बचने तथा प्रबल विरोधी शक्तियों को दबाने के लिए प्राणपन से की जानेवाली चेष्टा या प्रयत्न (स्ट्रगल; अंतिम दोनों अर्थों के लिए)। ५. आधुनिक पाश्चात्य साहित्यकारों के मत से नाटक में वह स्थिति जिसमें दो परस्पर विरोधी शक्तियाँ एक दूसरे को दबाने का प्रयत्न करती हैं। ६. वह अहंकारपूर्ण बात जो अपने प्रतिपक्षी को अपना बड़प्पन जतलाने के लिए कही जाये। ७. बाजी या शर्त लगाना। ८. स्पर्धा। होड़। ९. द्वेष। वैर। १॰. काम की प्रबल वासना। ११. धीरे धीरे खिसकना, चलना या रेंगना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
संघर्षण  : पुं० [सं० सम्√ घृष् (रगड़ना)+ल्युट्-अन] १. संघर्ष करने की क्रिया या भाव। २. भूगोल में, धारा में बहते हुए कंकड़ों की चट्टानों आदि से होनेवाली रगड़ (कोरेसन)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
संघर्षी (षिन्)  : वि० [सं०] १. संघर्ष-रत। संघर्ष करनेवाला। २. घिसने या रगड़नेवाला। पुं० व्याकरण में ख् ग् फ् व् और द् व्यंजन वर्ग जिनका उच्चारण करते समय मख द्वार खुला रहता है परन्तु फिर भी हवा टकराती हुई झटके से बाहर निकलती है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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