शब्द का अर्थ
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यंत्र :
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पुं० [सं०√यम् (निवृत्ति)+अच्] १. वह चीज बात या शक्ति जो किसी दूसरी चीज या बात को अच्छी तरह बाँध या रोककर नियंत्रित संघटित तथा सम्बन्द्ध रखती हो। जैसे—डोरी, ताला, फीता, बेड़ी, हथकड़ी आदि। २. प्राचीन भारत में शल्य चिकित्सा में काम आनेवाला ऐसा उपकरण जिसमें धार न हो अथवा नाम मात्र की भुथरी धार हो। जैसे—नस पकड़ने की सँड़सी, हडडी तोड़ने की हथौड़ी आदि। (शस्त्र से भिन्न) ३. विशेष प्रकार से बना हुआ कोई ऐसा उपकरण जो किसी विशेष कार्य की सिद्धि के लिए अथवा कोई चीज बनाने के लिए काम आता हो। औजार। ४. आजकल लोहे आदि का बना हुआ वह उपकरण जिसमें अनेक प्रकार के कल-पुरजे हों और जो बहुत सी चीजें बनाने के लिए एक साथ विशेष युक्ति से काम में लाया जाता हो। कल। (मशीन) जैसे—कपडे बुनने या कुएँ से पानी निकालने का यंत्र, छापे का यंत्र आदि। ५. किसी प्रकार का बाजा। वाद्य। ६. बाजों के द्वारा होनेवाला संगीत। ७. बीन या वीणा नाम का बाजा। ८. तांत्रिक क्षेत्रों में रेखाओं आदि के द्वारा कोष्ठकों आदि के रूप में बनी हुई वे विशिष्ट आकृतियाँ जिनमें कुछ विशिष्ट शक्तियों का निवास माना जाता है और जिनका उपयोग जादू-टोने के लिए कुछ विशिष्ट प्रभाव या फल उत्पन्न करने के लिए होता है। ९. उक्त प्रकार के कोष्ठकों का वह रूप जो नाश, अनिष्ट आदि से रक्षा के लिए धारण किया जाता है। जंतर। जैसे—(क) तिजारी या चौथिया ज्वर दूर करने का यंत्र, किसी को वश में करने का यंत्र। पद—यंत्र-मंत्र (देखें)। |
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यंत्र-करंडिका :
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स्त्री० [सं० ष० त०] बाजीगरों का पिटारा जिसकी सहायता से वे अनेक प्रकार के खेल करते हैं। |
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यंत्र-गृह :
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पुं० [सं० ष० त०] १. प्राचीन भारत में वह स्थान जहाँ अपराधियों को बाँधकर रखा जाता था तथा उन्हें यातनाएँ दी जाती थीं। २. वेधशाला। ३, यंत्रशाला। |
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यंत्र-नाल :
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पुं० [सं० कर्म० स०] वह नल जिसकी सहायता से कुएँ से जल निकाला जाता है। |
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यंत्र-पेषणी :
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स्त्री० [सं० कर्म० स०] चक्की। |
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यंत्र-मंत्र :
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पुं० [सं० द्व० स०] ऐसी क्रिया जिसमें तंत्र-शास्त्र और तत्-सम्बन्धी मंत्रों आदि का प्रयोग होता है। जादू-टोना। |
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यंत्र-मातृका :
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स्त्री० [सं० ष० त०] चौंसठ कलाओं में से एक जिसके अन्तर्गत अनेक प्रकार के यंत्र या कलें आदि बनाने और उनसे काम लेने की विद्याएँ आती हैं। |
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यंत्र-मानव :
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पुं० [सं०] प्रायः मनुष्य के आकार का वह यंत्र जो कई तरह के काम बहुत कुछ आदमियों की तरह करता है। |
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यंत्र-राज :
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पुं० [सं० ष० त०] ज्योतिष में एक प्रकार का यंत्र जिसमें ग्रहों और तारों की गति जानी जाती है। |
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यंत्र-विज्ञान :
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पुं० [सं० ष० त०]=यंत्रशास्त्र। |
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यंत्र-विद्या :
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स्त्री० [सं० ष० त०]=यंत्र-विज्ञान। |
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यंत्र-शाला :
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स्त्री० [सं० ष० त०] १. वह स्थान जहाँ चीजें बनाने के यंत्र आदि हों। यंत्रों की सहायता से जहाँ उत्पादन होता हो। यंत्रगृह। २. वेधशाला। |
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यंत्र-शास्त्र :
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पुं० [सं० ष० त०] वह कला या विज्ञान जिसमें अनेक प्रकार के यंत्र आदि बनाने और चलाने तथा अनेक प्रकार की संरचनाएँ प्रस्तुत करने का विवेचन होता है (इंजीनियरिंग) विशेष— इसकी बहुत सी शाखाएँ हैं जैसे—वस्तु-निर्माण, यंत्र-निर्माण, सिंचाई, नदी-नियंत्रण, धात्विक संरचना आदि। |
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यंत्र-समुच्चय :
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पुं० [ष० त०] संयंत्र (दे०) |
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यंत्र-सूत्र :
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पुं० [सं० ष० त०] वह सूत्र या तागा जिसकी सहायता से कठपुतली नचाई जाती है। |
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यंत्रक :
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पुं० [सं०√यन्त्र+कन्] १. घाव पर बाँधी जानेवाली पट्टी। (सुश्रुत) २. दे० ‘यंत्रकार’। वि० १. यंत्रण करनेवाला। २. वश में करनेवाला। ३. वशीकरण करनेवाला। |
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यंत्रकार :
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पुं० [सं० यंत्र√कृ (करना)+अण्] वह जो यंत्रों का परिचालन करता हो तथा यंत्र विद्या में दक्ष हो। (मैकेनिक) |
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यंत्रकारी :
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पुं० [हिं०] १. यंत्रकार का काम या पद। २. वह प्रक्रिया जिसके अनुसार किसी यंत्र या कल के पुरजे अपना काम करते और एक-दूसरे को चलाते हैं। (मैकेनिज़्म) |
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यंत्रण :
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पुं० [सं०√यंत्र+ल्युट-अन] १. बाँधकर तथा रोक में रखने की क्रिया। २. नियम, विधान आदि के द्वारा नियंत्रित रखना। ३. यंत्र आदि की सहायता से दबाने, पेरने आदि की क्रिया। ४. दे० ‘यंत्रणा’। |
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यंत्रणा :
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स्त्री० [सं०√यंत्र+णिच्+युच्—अन, टाप्] १. दे० ‘यंत्रण’। २. बहुत अधिक तीव्र कष्ट या पीड़ा। |
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यंत्रविद् :
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पुं० [सं० यंत्र√विद् (जानना)+क्विप्] अभियंता। (दे०) |
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यंत्रापीड़ :
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पुं० [यंत्र-आपीड़ा, ब० स०] वैद्यक में एक प्रकार का सन्निपात ज्वर जिससे शरीर में बहुत अधिक पीड़ा होती है और रोगी का लहू पीले रंग का हो जाता है। |
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यंत्रालय :
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पुं० [यंत्र-आलय, ष० त०] १. वह स्थान जहाँ यंत्रों अर्थात् उपकरणों, औजारों आदि का निर्माण होता है। २. वह स्थान जहाँ कलें या यंत्रादि हों। ३. छापाखाना। मुद्रणालय। प्रेस। |
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यंत्रिका :
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स्त्री० [सं०√यंत्र+ण्वुल्-अक, टाप्, इत्व] १. छोटा यंत्र। २. ताला। ३. पत्नी की छोटी बहन। छोटी साली। ४. छोटा ताला। |
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यंत्रित :
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भू० कृ० [सं०√यंत्र+णिच्+क्त] १. बाँध तथा रोककर रखा हुआ। २. नियमों आदि से जकड़ा हुआ। ३. जिस पर ताला लगाया गया हो। ४. जिसे यंत्रणा मिली हो। |
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यंत्री (त्रिन्) :
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पुं० [सं० यंत्र+इनि] १. यंत्र-मंत्र करनेवाला। तांत्रिक। २. बाजा बजानेवाला। ३. नियंत्रण करनेवाला। |
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