शब्द का अर्थ
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मधुर :
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वि० [सं० मधु√रा (देना)+क] [स्त्री० मधुरा] १. जिसका स्वाद मधु के समान हो। मीठा। २. जो सब प्रकार की कटुताओं से रहित, और मधु के समान मीठा जान पड़े। जैसे—मधुर वचन। ३. जो कठोरता, कर्कशता आदि से रहित होने के कारण बहुत भला जान पड़ता हो। जैसे—वीणा का मधुर स्वर। उदा०—मधुर मधुर गरजत घन घोरा।—तुलसी। ४. जो अपनी मनोहरता, सुन्दरता आदि के कारण प्रिय और भला लगता हो। जैसे—मधुर मूर्ति। ५. जो गति या चाल के विचार से धीमा या मन्द हो। जैसे—मधुर-गति। ६. धीर और शांत। ७. जो काम करने में बहुत मट्ठर या सुस्त हो। जैसे—मधुर पशु। पुं० १. किसी मीठी चीज का या किसी प्रकार का मीठा रस। २. लाल रंग की ईख। लाल ऊख। ३. गुड़। ४. बादाम। ५. जीवक। वृक्ष। ६. जंगली बेर। ७. महुआ। ८. मटर। ९. धान। १॰. काकोली। ११. लोहा। १२. जहर। विष। |
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मधुर ज्वर :
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पुं० [कर्म० स०] मंद-ज्वर। |
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मधुर-कंटक :
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पुं० [ब० स०] एक प्रकार की मछली जिसे कजली कहते हैं। |
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मधुर-कर्कटी :
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स्त्री० [कर्म० स०] मीठा नीबू। |
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मधुर-जंबीर :
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पुं० [कर्म० स०] मीठी जंबीरी नींबू। |
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मधुर-त्रय :
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पुं० [ष० त०] शहद, घी और चीनी, तीनों का समाहार। |
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मधुर-त्रिफला :
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स्त्री० [कर्म० स०] दाख (या किशमिश), गंभारी और खजूर इन तीनों का समाहार। |
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मधुर-त्वच् :
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पुं० [ब० स०] धौ का पेड़। |
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मधुर-फला :
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स्त्री० [सं० मधुरफल+टाप्] मीठा नींबू। |
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मधुर-श्रवा :
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स्त्री० [ब० स०, टाप्] पिंडखजूर। |
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मधुर-स्वर :
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पुं० [ब० स०] गंधर्व। |
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मधुरई :
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स्त्री०=मधुरता (माधुर्य)। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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मधुरक :
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पुं० [सं० मधुर+कन्] जीवक वृक्ष। |
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मधुरता :
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स्त्री० [सं० मधुर+तल्+टाप्] मधुर होने की अवस्था, गुण या भाव। माधुर्य। |
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मधुरत्व :
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पुं० [सं० मधुर+त्व] मधुरता। |
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मधुरसा :
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स्त्री० [सं० मधुरस+टाप्] १. मूर्वालता। २. दाख। ३. गंभारी। ४. दूधिया घास। ५. शतपुष्पी। ६. गंधप्रसारिणी लता। |
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मधुरा :
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स्त्री० [सं० मधुर+टाप्] १. मथुरा नगरी। २. मदरास प्रांत का एक प्राचीन नगर जो अब मदुरा कहलाता है। २. मीस्र नींबू। ३. मुलेठी। ४. मीठी खजूर। ५. शतावर। ६. महामेदा। ७. मेदा। ८. शतपुष्पी। ९. पालक का साग। १॰. सेम। ११. काकोली। १२. केले का पेड़। १३. सौंफ। १४. मसूर। |
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मधुरा :
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वि० [सं० मधुर] [स्त्री० मधुरी] मधुर। उदा०—लंबा टीका मधुरी बानी। दगाबाज की यही निशानी (कहा०)। स्त्री० साहित्य में वह शब्द-योजना जिससे रचना में माधुर्य या मिठास आती है। स्त्री० १.=मदुरा। २. मथुरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मधुराई :
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स्त्री०=मधुरता।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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मधुराकर :
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पुं० [मधुर-आकर, ष० त०] ईख। ऊख। |
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मधुराज :
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पुं० [सं० ष० त०] भौंरा। |
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मधुराना :
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अ० [सं० मधुर+हिं० आना (प्रत्य०)] १. मधुर होना। २. फलों तथा खाद्य वस्तुओं के संबंध में, मिठास से युक्त होना मीठा होना। स० मधुर बनाना। |
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मधुरान्न :
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पुं० [मधुर-अन्न, कर्म० स०] १. मीठा अन्न। २. मिठाई मिष्ठान्न। |
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मधुराम्लक :
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पुं० [मधुर-अम्लक, कर्म० स०] अमड़ा। |
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मधुरालापा :
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स्त्री० [मधुर-आलाप, ब० स०+टाप्] मैना पक्षी। |
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मधुरिका :
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स्त्री० [सं० मधुर+कन्+टाप्, इत्व] सौंफ। |
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मधुरित :
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भू० क० [सं० मधुर+इतच्] १. मिठास से युक्त किया हुआ २. मधुर रूप में लाया हुआ। |
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मधुरिन :
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पुं० [सं० मधुर से] ग्लिसरीन (तरल पदार्थ)। |
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मधुरिमा :
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स्त्री० [सं० मधुर+इमनिच्] मधुर होने की अवस्था या भाव। मधुरता। वि०=मधुर। |
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मधुरी :
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स्त्री० [सं० मधुर] मुँह से फूँककर बजाया जानेवाला एक तरह का पुराना बाजा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)स्त्री० [सं० माधुरी] १. मधुरता। २. शराब। |
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मधुरोदक :
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पुं० [मधुर-उदक, कर्म० स०] १. मधु मिश्रित जल। २. (ब० स०] पुराणानुसार सात समुद्रों में से अंतिम समुद्र जो मीठे जल का और पुष्कर द्वीप के निकट चारों ओर स्थित कहा गया है। |
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