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भेंद  : पुं० [सं०√भिद्+घञ्] १. भेदने या छेदने की क्रिया या भाव। २. काटकर, तोड़कर या और किसी प्रकार अलग करने की क्रिया। ३. किसी तल के बीच में से होकर या एक पार्श्व तक जाना। जैसे—शकट भेद। ४. प्राचीन भारतीय राजनीति में शत्रु के लोगों को धन देकर या बहकाकर अपनी ओर मिला लिया जाता था अथवा उनमें परस्पर द्वष उत्पन्न कर दिया जाता था। ५. कोई ऐसी भीतरी छिपी हुई तथा रहस्यपूर्ण बात जो दूसरे लोग न जानते हों। रहस्य। क्रि० प्र०—देना।—पाना।—बताना।—मिलाना।—लेना। ६. छिपा हुआ तात्पर्य। मर्म। उदा०—वैद-वधू हँसि भेद सो रही नाह मुख चाहि।—बिहारी। ७. वह गुण, तत्त्व या विशेषता जो प्रायः समान प्रतीत होनेवाली चीजों में से किसी एक में होती है और जिससे दोनों का अन्तर जाना जाता है। ८. अन्तर। फरक। ९. किस्म। तरह। प्रकार।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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