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बिजली  : स्त्री० [सं० विद्युत, प्रा० बि्ज्जु] १. एक प्रसिद्ध प्राकृतिक शक्ति जो तत्त्वमात्र के मूल-भूत अणुओं या कणों मे नहिक और सहिक अथवा ऋणात्मक और धनात्मक रूपों में वर्तमान रहती है और जो संघर्ष तथा रासायनिक परिवर्तन या विकारों से उत्पन्न होती है। विद्युत (इलेक्ट्रिसिटी) विशेष—इसका कार्य चारों ओर अपनी किरणें या धाराएँ फैलाना, आकर्षण तथा विकर्षण करना और पदार्थों में रासायनिक परिवर्तन या विकार उत्पन्न करना है। २. उक्त का वह रूप जो कुछ विशिष्ट रासायनिक प्रक्रियाओं अथवा जलप्रपातों के संघर्ष आदि से कुछ विशिष्ट यंत्रों के द्वारा उत्पादित किया जाता है और जिसका उपयोग घरो में प्रकाश करने गाड़ियाँ पंखे आदि चलाने और कल-कारखाने चलाने के लिए तारों के द्वारा चारों ओर वितरित किया जाता है। विशेष—प्रायः ढाई हजार वर्ष पूर्व थेल्स नामक व्यक्ति ने पहले-पहल यह देखा था कि रेशम के साथ कुछ विशिष्ट चीजें रगड़ने से उसमें हलकी चीजों की अपनी ओर खीचने की शक्ति आ जाती है बाद में लोगों ने देखा कि मोर का पंख थोड़ी देर तक रगड़ने रेशम को शीशे से रगड़ने तथा लोहे को फलालेन से रगड़ने पर भी यह शक्ति उत्पन्न होती है। तब से पाश्चात्य वैज्ञानिक इसके संबंध में अनेक प्रकार के अनुसंधान और परीक्षण करने लगे, जिनके फलस्वरूप अब यह शक्ति सारे संसार के सभ्य-जीवन का एक प्रदान अंग बन गई है, और इससे सैकड़ों तरह के काम लिए जाने लगे हैं। यह धातुओं प्राणियों के शरीर, जल आदि में बहुत ही तीव्र गति से चलती हैं। ऊन, चूना, मोम, रेशम, लोहा, शीशा आदि अनेक ऐसे पदार्थ भी है, जिनमें इनका संचार नहीं होता। अब इसका उपयोग बिना तार के सम्पर्क के दूर-दूर तक समाचार भेजने और अनेक प्रकार के रोगों की चिकित्सा करने में भी होने लगा है। ३. उक्त शक्ति का वह घनीभूत रूप जो आकाश के बादलों में प्रवाहित होता और कभी-कभी बहुत ही घोर शब्द करता हुआ तीव्र वेग से तथा क्षणिक प्रबल आकाश से युक्त होकर पृथ्वी पर आता या गिरता हुआ दिखाई देता है और जिसमें बहुत अधिक नाशक शक्ति होती है। चपला (लाइटनिंग) क्रि० प्र०—कड़कना।—चमकाना। मुहावरा—बिजली कडकना=बादलों में बिजली का प्रवाह या संचार होने के कारण बहुत जोर का शब्द होना, जिसके परिणामस्वरूप बहुत तीव्र प्रकाश दिखाई देता है। और कभी-कभी बिजली गिरती भी है। बिजली गिरना या पड़ना=आकाश से बिजली तिरछी रेखा के रूप में पृथ्वी की ओर बडे़ वेग से चलकर आती है, जिससे रास्ते में पड़नेवाली चीजें जलकर नष्ट हो जाती या टूट-फूट जाती है। ४. कान में पहनने का एक प्रकार का गहना, जिसमें बहुत चमकीला लटकन लगा रहता है। ५. गले में पहनने का उक्त प्रकार का हार। ६. आम की गुठली के अन्दर की गिरी। वि० १. बिजली की तरह बहुत अधिक चमकीला। २. बिजली की तरह बहुत अधिक तीव्र गति या वेगवाला। ३. बिजली की तरह चंचल या चपल।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
बिजली-घर  : पुं० [हिं० ] वह स्थान जहाँ रासायनिक प्रक्रियाओं, जलप्रपातों आदि से बिजली उत्पन्न करके कल-कारखाने आदि चलाने और घरों में प्रकाश आदि करने के लिए जगह-जगह तार की सहायता से पहुँचाई जाती है।
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बिजली-बचाव  : पुं० [हिं०] लोहे का वह टुकड़ा और तार जो ऊंची इमारतों आदि पर आकाश से गिरनेवाली बिजली आकृष्ट करके जमीन के अन्दर पहुँचाने के लिए लगा रहता है और जिसके फलस्वरूप बिजली गिरने के नाशक प्रभावों से रक्षा होती है। तडित्रक्षक (लाइटनिंग प्रोटेक्टर)
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बिजली-मार  : पुं० [हिं०] एक प्रकार का बहुत सुन्दर और छायादार बड़ा वृक्ष।
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