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बस्ता  : पुं० [फा० बस्तः] १. कपड़े का वह चौकोर टुकड़ा जिसमें कागज के मुट्ठे, बही-खाते और पुस्तक आदि बाँधकर रखते हैं। बेठन। २. इस प्रकार बँधी हुई पुस्तक या कागज पत्र। क्रि० प्र०—बाँधना। ३. थैले या बेठन की तरह का वह उपकरण जिसमें विद्यार्थी अपनी पुस्तकें रखकर विद्यालय ले जाता है। जैसे—सब लड़के अपना-अपना बस्ता खोंले। मुहावरा—बस्ता बाँधना=उठाने या चलने की तैयारी कर पुस्तकें आदि बस्ते में बाँध या रखकर चलने को तैयार होना।
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बस्ताजिन  : पुं० [सं० वस्त-अजिन, ष० त] बकरे की खाल।
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बस्तांबु  : पुं० [सं० वस्तु-अंबु, ष० त] बकरे का मूत्र।
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बस्तार  : पुं० [फा० वस्तः] १. बहुत से मनुष्यों का एक जगह घर बनाकर रहने का भाव। आबादी। निवास। २. वह स्थान जहाँ बहुत से लोग घर बनाकर एक साथ रहते हों। क्रि० प्र०—बसना।—बसाना।
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