लोगों की राय

शब्द का अर्थ खोजें

शब्द का अर्थ

पीना  : स० [सं० पान] १. जीवों के मुँह के द्वारा या वनस्पतियों का जड़ों के द्वारा स्वाभाविक क्रिया से तरल पदार्थ विशेषतः जल आत्मसात् करना। २. किसी तरह पदार्थ में मुँह लगाकर उसे धीरे-धीरे चूसते हुए गले के रास्ते पेट में उतारना। जैसे—यहाँ रात भर मच्छर हमारा खून पीतें हैं। ३. गाँजे, तमाकू आदि का धूँआ नशे के लिए बार-बार मुँह में लेकर बाहर निकालना। धूम्रपान करना। जैसे—चिलम, बीड़ी, सिरगेट या हुक्का पीना। ४. एक पदार्थ का किसी दूसरे तरल पदार्थ को अपने अन्दर खींचना या सोखना। जैसे—इतना ही आटा (या चावल) पाव भर घी पी गया। ५. लाक्षणिक अर्थ में, धन आत्मसात् करना या ले लेना। जैसे—(क) यह मकान मरम्मत में ५०० रुपए पी गया। (ख) लड़का बुढ़िया का सारा धन पी गया। संयो० क्रि०—जाना।—डालना।—लेना। ६. मन में कोई या तीव्र मनोविकार होने पर भी उसे अन्दर ही अन्दर दबा लेना और ऊपर या बाहर प्रकट न होने देना। चुपचाप सहकर रह जाना। जैसे—किसी के अपमान करने या गाली देने पर भी क्रोध या गुस्सा पीकर रह जाना। ७. कोई अप्रिय या निंदनीय घटना या बात हो जाने पर उसे चुपचाप दबा देना और उसके संबंध में कोई कारवाई न करना या लोगों में उसकी चर्चा न होने देना। जैसे—ऐसा जान पड़ता है कि सरकार इस मामले को पी गई। संयो० क्रि०—जाना। मुहा०—(कोई गुण या भाव) घोलकर पी जाना=इस बुरी तरह से आत्मसात् करना या दबा डालना कि मानों उसका कभी कोई अस्तित्व ही नहीं था। जैसे—लज्जा (या शरम) तो तुम घोलकर पी गये हों। पुं० १. पीने की क्रिया या भाव। २. शराब पीने की क्रिया या भाव। जैसे—उनके यहाँ पीना-खाना सब चलता है। पुं० [सं० पीडन=पेरना] १. तिल, तीसी आदि की खली। २. किसी चीज के मुँह पर लगाई जानेवाली डाट (लश०)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पीना  : स० [सं० पान] १. जीवों के मुँह के द्वारा या वनस्पतियों का जड़ों के द्वारा स्वाभाविक क्रिया से तरल पदार्थ विशेषतः जल आत्मसात् करना। २. किसी तरह पदार्थ में मुँह लगाकर उसे धीरे-धीरे चूसते हुए गले के रास्ते पेट में उतारना। जैसे—यहाँ रात भर मच्छर हमारा खून पीतें हैं। ३. गाँजे, तमाकू आदि का धूँआ नशे के लिए बार-बार मुँह में लेकर बाहर निकालना। धूम्रपान करना। जैसे—चिलम, बीड़ी, सिरगेट या हुक्का पीना। ४. एक पदार्थ का किसी दूसरे तरल पदार्थ को अपने अन्दर खींचना या सोखना। जैसे—इतना ही आटा (या चावल) पाव भर घी पी गया। ५. लाक्षणिक अर्थ में, धन आत्मसात् करना या ले लेना। जैसे—(क) यह मकान मरम्मत में ५०० रुपए पी गया। (ख) लड़का बुढ़िया का सारा धन पी गया। संयो० क्रि०—जाना।—डालना।—लेना। ६. मन में कोई या तीव्र मनोविकार होने पर भी उसे अन्दर ही अन्दर दबा लेना और ऊपर या बाहर प्रकट न होने देना। चुपचाप सहकर रह जाना। जैसे—किसी के अपमान करने या गाली देने पर भी क्रोध या गुस्सा पीकर रह जाना। ७. कोई अप्रिय या निंदनीय घटना या बात हो जाने पर उसे चुपचाप दबा देना और उसके संबंध में कोई कारवाई न करना या लोगों में उसकी चर्चा न होने देना। जैसे—ऐसा जान पड़ता है कि सरकार इस मामले को पी गई। संयो० क्रि०—जाना। मुहा०—(कोई गुण या भाव) घोलकर पी जाना=इस बुरी तरह से आत्मसात् करना या दबा डालना कि मानों उसका कभी कोई अस्तित्व ही नहीं था। जैसे—लज्जा (या शरम) तो तुम घोलकर पी गये हों। पुं० १. पीने की क्रिया या भाव। २. शराब पीने की क्रिया या भाव। जैसे—उनके यहाँ पीना-खाना सब चलता है। पुं० [सं० पीडन=पेरना] १. तिल, तीसी आदि की खली। २. किसी चीज के मुँह पर लगाई जानेवाली डाट (लश०)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
लौटें            मुख पृष्ठ
 

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai