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शब्द का अर्थ
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थिरक :
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पुं० [हिं० थिरकना] थिरकने की क्रिया, अवस्था, ढंग या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
थिरकना :
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अ० [सं० अस्थिर+करण] [भाव० थिरक] १. शरीर के किसी अंग का रह-रहकर और धीरे-धीरे किसी आधार या जमीन से कुछ ऊपर उठना और फिर जमीन पर आना। जैसे—नाचने में पैर (या मृदंग बजाने में हाथ) थिरकना। २. व्यक्ति का ऐसी स्थिति में होना कि उसका सारा शरीर, मुख्यत |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
थिरकौहाँ :
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वि० [हिं० थिरकना+औहाँ (प्रत्य०)] [स्त्री० थिरकौहीं] १. रह-रहकर थिरकनेवाला। २. थिरकता हुआ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि० [हिं० थिर=स्थिर] जो अपने स्थान पर स्थिर हो। ठहरा हुआ। स्थिर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
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