शब्द का अर्थ
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तैर :
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वि० [सं० तीर+अण्] तीर या तट-संबंधी। तट का। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तैरणी :
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स्त्री० [सं० तीर√नम् (नमस्कार करना)+ड, तीरण+अण्+ङीष्] एक प्रकार का क्षुप जिसकी पत्तियाँ औषधि के काम आती है। |
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समानार्थी शब्द-
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तैरना :
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अ० [सं० तरण] १. प्राणियों का अपने हाथ-पैर, पंख या डैने अथवा दुम हिलाते हुए पानी के ऊपरी तल पर इस प्रकार इधर-उधर घूमना या आगे बढ़ना कि वे डूबने से बचे रहें। ऐसी युक्ति सेपानी में चलना कि डूब न जायँ। २. मनुष्यों का अपने हाथ-पैर इस प्रकार चलाते या हिलाते हुए आगे बढ़ना कि सरीर पानी के तल में बैठने न पावे। पैरना। विशेष–प्रायः सभी जीव-जन्तुओं प्राकृतिक रूप से पानी पर तैरना जानते है, परन्तु मनुष्य को प्रयत्नपूर्वक तैरने की कला सीखनी पड़ती है। ३. पानी से हलकी चीज का पानी अथवा किसी द्रव पदार्थ की ऊपरी तह पर ठहरा रहना, अथवा उसके प्रवाह या बहाव के साथ-साथ आगे बढ़ना। जैसे–लकड़ी का पानी पर तैरना। ४. लाक्षणिक रूप में, किसी प्राणी अथवा वस्तु का इस प्रकार सहज में और सरल गति से इधर-उधर हटना-बढ़ना जिस प्रकार जीव-जन्तु जल के ऊपरी भाग पर तैरते हैं। जैसे–कीटाणुओं अथवा गुड्डी (या पतंग) का हवा में तैरना। |
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समानार्थी शब्द-
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तैराई :
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स्त्री० [हिं० तैरना+ई (प्रत्यय)] १. तैरने की क्रिया या भाव। २. तैरने या तैराने के बदले में मिलनेवाला पारिश्रमिक। |
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तैराक :
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वि० [हिं० तैरना+आक (प्रत्यय)] (वह) जो खूब अच्छी तरह तैरना जानता हो। |
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समानार्थी शब्द-
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तैराकी :
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स्त्री० [हिं० तैराक+ई (प्रत्यय)] १. तैरने की क्रिया या भाव। २. वह उत्सव या मेला जिसमें तैरने की कलाओं, जल-कीड़ाओं आदि का प्रदर्शन या प्रतियोगिता हो। |
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तैराना :
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स० [हिं० तैराना का प्रे०] १. दूसरे को तैरने में प्रवृत्त करना। तैरने का काम दूसरे से कराना। २. धारदार शस्त्रों के सम्बन्ध में शरीर के अन्दर अच्छी तरह धँसाना या प्रविश्ट कराना। जैसे–किसी के पेट में कटार तैराना। |
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तैर्थ :
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वि० [सं० तीर्थ+अण्] १. तीर्थ संबंधी। तीर्थ का। २. तीर्थ में होनेवाला। पुं० वे धार्मिक कृत्य जो किसी तीर्थ में जाने पर करने पड़ते हैं। |
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तैर्थक :
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वि० [सं० तीर्थ+वुञ्-इक] शास्त्रकार। |
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तैर्यगयनिक :
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पुं० [सं० तिर्यक-अयन, ष० त०+ठञ्-इक] एक प्रकार का यज्ञ। |
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