शब्द का अर्थ
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तेजस् :
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पुं० [सं०√तिज् (सहना)+असुन्] दे० ‘तेज’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तेजस्-चिकित्सा :
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स्त्री० [तृ० त०] दे० रश्मि चिकित्सा। |
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तेजस्कर :
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वि० [सं०तेजस्√कृ(करना)+ट] तेज को प्रदीप्त करने या बढ़ानेवाला। तेज उत्पन्न करनेवाला। |
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तेजस्काम :
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वि० [सं० तेजस्√कम्(चाहना)+अण्] शक्ति या प्रताप की कामना करनेवाला। |
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तेजस्क्रिय :
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वि० [सं० ब० स०] (वह पदार्थ) जिसमें से तेज निकलकर दूसरे पदार्थों प्रभावित करता है। (रेडियो एक्टिव)। |
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तेजस्क्रियता :
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स्त्री० [सं० तेजस्क्रिय+तल्–टाप्] कुछ विशिष्ट मौलिक तत्त्वों या पदार्थों में निहित वह विद्युत शक्ति जो विशेष अवस्थाओं में तेज या रश्मि के रूप में बाहर निकलकर दूसरे पदार्थों पर प्रभाव डालती है। (रेडियो एक्टिविटी)। |
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तेजस्वत् :
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वि० [सं० तेजस्+मतुप् (वत्व)] तेजस्वी। |
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तेजस्वान् :
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वि० [सं० तेजस्वत्] तेजस्वी। |
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तेजस्विता :
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स्त्री० [सं०तेजस्विन्+तल्-टाप्] तेजस्वी होने की अवस्ता, गुण या भाव। |
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तेजस्विनी :
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स्त्री० [सं० तेजस्विन्+ङीष्] मालकंगनी। |
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तेजस्वी (स्विन्) :
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वि० [सं० तेजस्+विनि] [स्त्री० तेजस्विनी] १. जिसमें यथेष्ट तेज हो। २. जिसके बल, बुद्दि वैभव आदि का दूसरों पर यथेष्ट प्रभाव पड़ता हो। प्रतापी। पुं० इंद्र के एक पुत्र का नाम। |
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