शब्द का अर्थ
|
तन्य :
|
वि० [सं० तान्य] [भाव० तन्यता] १. जो खींचा या ताना जा सके। २.(पदार्थ) जो खींच, तान या पीटकर बढ़ाया या लंबा किया जा सके, और ऐसा करने पर भी बीच में से कहीं टूटे-फूटे नहीं। जैसे–धातुएँ तन्य होती है और उनके तार या पत्तर बनाये जा सकते हैं। (डक्टाइल)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तन्यक :
|
वि० तन्य। (दे०)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तन्यता :
|
स्त्री० [सं० तान्यता०] १. तन्य होने की अवस्था या भाव। २. वस्तुओं का वह गुण जिससे वे खींचने तानने या पीटने पर बिना बीच में से टूटे, बढ़कर लंबी हो सकती है। (डक्टिलिटी)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तन्यतु :
|
पुं० [सं०√तन् (फैलाना)+यतुच्] १. वायु। हवा। २. रात। रात्रि। ३. गर्जन। ४. एक प्रकार का पुराना बाजा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |