शब्द का अर्थ
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छित :
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वि० [सं० सित] सफेद।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
छितनी :
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स्त्री० [?] एक प्रकार की छिछली या कम गहरी टोकरी। |
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समानार्थी शब्द-
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छितर-बितर :
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वि०=तितर-बितर। |
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समानार्थी शब्द-
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छितरा :
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वि० [हिं० छितराना] छितराया हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
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छितराना :
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अ०, स०=छितराना। |
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छितराना :
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अ० [सं० क्षिप्त+करण] १. किसी वस्तु के कणों या छोटे-छोटे टुकड़ों का चारों ओर बिखरना। २. थोड़े से पशुओं, व्यक्तियों वस्तुओं आदि का विस्तृत भू-भाग में फैलना। जैसे–यहूदी सारे संसार में छितरे हुए हैं। स० १. किसी वस्तु के कणों को चारों ओर गिराना, फेंकना या बिखेरना। २. दूर-दूर या विरल करना। जैसे–किताबें छितराना। ३. व्यक्तियों, पशुओं आदि को तितर-बितर करना। |
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छितराव :
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पुं० [हिं० छितराना] छितरे या छितराए हुए होने की अवस्था या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
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छितव :
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स्त्री०=क्षिति।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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छिताई :
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स्त्री० [सं० क्षिति] देवगिरि के राजा की पुत्री। |
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समानार्थी शब्द-
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छिति :
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स्त्री० [सं० क्षिति] पृथ्वी। भूमि।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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छितिकंत, छितिनाथ, छितिपाल :
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पुं० [हिं० छित+सं० कंत, नाथ या पाल] राजा। |
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छितिरुह :
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पुं० [हिं० छिति+सं० रुह] वृक्ष। |
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छितीस :
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पुं० [सं० क्षितीश] राजा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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छित्ति :
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स्त्री० [सं०√ छिद् (छेदना)+क्तिन्] काटने अथवा छेदने की क्रिया या भाव। |
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