शब्द का अर्थ
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चिक्क :
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वि० [सं० चिक्√कै (शब्द करना)+क] चिपटी नाकवाला। पुं० छछूँदर। पुं० चिक (कसाई)। स्त्री०=चिक (तीलियों का झँझरीदार परदा)। |
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समानार्थी शब्द-
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चिक्कट :
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वि० [सं० चिक्लिद] १. चिकनाहट और मैल से भरा हुआ। जिस पर तेल आदि की मैल जमी हो। बहुत गंदा और मैला। २. चिपचिपा। लसीला। पुं० [?] १. एक प्रकार का टसर या रेशमी कपड़ा। २. वे कपड़े जो भाई अपनी बहन को उसकी संतान के विवाह के समय देता है।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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चिक्कण :
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वि० [सं० चित्√कण (शब्द करना)+क] चिकना। पुं० १. सुपारी का पेड़ और उसका फल। २. हरीतकी। हर्रे। ३. आयुर्वेद में पाक बनाने के समय उसके नीचे की आँख की एक अवस्था। |
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चिक्कणा :
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स्त्री० [सं० चिक्कण+टाप्]=चिक्कणी। |
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चिक्कणी :
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स्त्री० [सं० चिक्कण+ङीष्] १. सुपारी। २. हड़। हर्रे। |
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चिक्कन :
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वि०=चिकना। |
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चिक्करना :
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अ० [सं० चीत्कार] चीत्कार करना। जोर से चिल्लाना। |
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चिक्कस :
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पुं० [सं०√चिक्क (पीसना)+असच्] १. जौ का आटा अथवा जौ के आटे का बना हुआ भोजन। २. तेल, और हल्दी के योग से बनाया हुआ जौ के आटे का उबटन जो प्रायः यज्ञोपवीत के समय वटु के शरीर पर मला जाता हैं। पुं० [देश०] लोहे, पीतल आदि के छड़ का बना हुआ वह अड्डा जिस पर तोते, बाज, बुलबुल आदि पक्षी बैठाये जाते है। |
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चिक्का :
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स्त्री० [सं०√चिक्क्+अच्-टाप्] सुपारी। पुं०√चिक्किर (चूहा)। पुं०=चक्का।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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चिक्कार :
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पुं०=चीत्कार। |
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चिक्किर :
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पुं० [सं० चिक्क+इरच्] १. एक प्रकार का जहरीला चूहा जिसके काटने से सूजन होती है। २. गिलहरी। |
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