शब्द का अर्थ
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चयन :
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पुं० [सं० चि+ल्युट्-अन] १. आवश्यकता, रुचि आदि के अनुसार बहुत सी वस्तुओं में से कोई एक या कई वस्तुएँ चुन या छाँटकर अलग निकालने की क्रिया या भाव। जैसे–गुलदस्ते के लिय फूलों अथवा संग्रहालय के लिए पुस्तकों का चयन करना। २. इस प्रकार चुनी हुई वस्तुओं का समूह। संकलन। ३. यज्ञ के लिए अग्नि का एक संस्कार। |
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समानार्थी शब्द-
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चयन-शील :
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वि० [ब० स०] जो चयन करने या संग्रह करने के काम में लगा हो या लगा रहता हो। |
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चयनक :
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पुं० [हिं० चयन से] चुने हुए व्यक्तियों का वह वर्ग या समूह जिसमें से कोई एक या कई व्यक्ति किसी विशेष कार्य के संपादन या संचालन के लिए किसी उच्च अधिकारी या संस्था द्वारा नियत किये जाते हैं। नामिका। (पैनेल)। |
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चयना :
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स० [सं० चयन] चयन करना। इकट्ठा करना। उदाहरण–रजनी गत बासर मृग तृष्ना रसहरि कौन चयौ।–सूर। |
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चयनिका :
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स्त्री० [सं० चयन+कन्+टाप्-इत्व] १. चुनी हुई कविताओँ, कहानियों, लेखों या ऐसी ही और चीजों या बातों आदि का संग्रह। २. पत्र-पत्रिकाओं आदि का वह विभाग या स्तंभ जिसमें दूसरी पत्र-पत्रिकाओं से ली हुई अच्छी टिप्पणियाँ लेख या उनके सारांश रहते हैं। |
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चयनीय :
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वि० [सं०√चि+अनीयर] जो चयन किये या चुने जाने के योग्य हो। |
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