शब्द का अर्थ
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कटि :
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स्त्री० [सं०√कट् (ढकना)+इन] १. मनुष्य के शरीर का वह मध्य भाग जो पेट और चूतड़ों के बीच में होता है। कमर। २. किसी वस्तु का मध्य भाग। ३. चूतड़। नितंब। ४. देव-मंदिर का दरवाजा। ५. हाथी का गंडस्थल। ६. पीपल। वि० [हिं०कटीला] काट करनेवाला। उदाहरण—बड़े नयन कटि भृकुटि भाल बिसाल।—तुलसी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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कटि-जेब :
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स्त्री० [सं० कटि+फा० जेब=शोभा] करधनी। |
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कटि-बद्ध :
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वि० [ब० स०] १. जिसने कोई काम करने को कमर कस ली हो। उद्यत। २. तत्पर। |
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कटि-बंध :
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पुं० [ष० त०] १. कमरबंद। पटका। २. भूगोल में, गरमी-सरदी के विचार से किये हुए पृथ्वी के पाँच भागों में से हर एक। (ट्रापिक) जैसे—उष्ण कटिबंध, शीत कटिबंध आदि। |
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कटि-रोहक :
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पुं० [ष० त०] हाथी चलानेवाला। फीलवान। |
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कटि-सूत्र :
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पुं० [मध्य० स०] सूत की वह डोरी, जो कमर में पहनी या बाँधी जाती है। सूत की करधनी। |
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कटिका :
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स्त्री० [सं० कटि+कन्-टाप्] नितंब। चूतड़। |
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कटिया :
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स्त्री० [हिं० काटना] १. नगीनों को काट-छाँट कर सुडौल करनेवाला। २. छोटे-छोटे टुकड़ों में कटा हुआ चौपायों का चारा। ३. भैंस का मादा बच्चा। स्त्री०=कँटिया (काँटा का स्त्री० अल्पा०)। |
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कटियाना :
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स्त्री० [हिं० काँटा] पुलकित या रोमांचित होना। स० पुलकित या रोमांचित करना। |
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कटियाली :
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स्त्री० [सं० कंटकारि] भटकटैया।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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