शब्द का अर्थ
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उग्र :
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वि० [सं० उच् (एकत्रित करना)+रक्, ग, आदेश] [भाव० उग्रता, स्त्री० उग्रा] १. जो अपने आकार-प्रकार, रूप-रंग आदि की विकरालता के कारण देखनेवालों के मन में आतंक, आशंका या भय का संचार करता हो। जैसे—एक ओर काली, नृसिंह, वराह आदि की उग्र मूर्तियाँ रखी थी। २. जो क्रोध, वैर-विरोध आदि के प्रसंगों में क्रूरता या निर्दयता का व्यवहार करनेवाला हो। बल-प्रयोग करके कष्ट या हानि पहुँचा सकनेवाला। जैसे—परशुराम का उग्र रूप देखकर सब लोग धर्रा गये। ३. जो अपनी तीव्र प्रकृति या कर्कश स्वभाव के कारण सहज में शांत न हो सकता हो और इसी लिए जिसके साथ निर्वाह या व्यवहार करना बहुत कठिन हो। जैसे—ठाकुर साहब ऐसे उग्र थे कि घर के बच्चे भी उनके पास जाने से डरते थे। ४. (कार्य या विचार) जिसमें शांति या सौम्यता के बदले आवेश, कठोरता, नृशंसता आदि बातें अधिक हों अथवा जो व्यवहारिक क्षेत्र में उत्कट या विकट रूप में सक्रिय रहता हो। जैसे—(क) अराजकों की उग्र विचारधारा। (ख) आतताइयों की उग्र कार्य-प्रणाली। (ग) विरोधियों का उग्र प्रदर्शन। ५. जो असाधारण रूप से घन, तीव्र या प्रबल होने के कारण अधिक कष्ट देनेवाला हो। काया या शरीर पर जिसका विशेष कष्टदायक परिणाम प्रभाव होता हो। जैसे—(क) जंगली जातियों के उपचार और चिकित्साएँ प्रायः उग्र होती है। (ख) पार्वती की उग्र तपस्या देखकर सब लोग घबरा गये। ६. जो अपनी प्रबलता, वेग आदि के कारण घातक या हानिकारक सिद्ध हो सकता हो। अति तीव्र और दुखद। जैसे—उग्र मनस्ताप, उग्र महामारी आदि। ७. जो अपनी मात्रा की अधिकता के कारण सहज में सहा न जा सके। जैसे—उग्र गंध। पुं० १. महादेव। शिव। २. विष्णु। ३. सूर्य। ४. क्षत्रिय पिता और शूद्र माता से उत्पन्न एक प्राचीन संकर जाति जिसका स्वभाव मन के अनुसार बहुत उग्र तथा क्रूर था। ५. ज्योतिष में, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, मघा और भरणी ये पाँच नक्षत्र जो स्वभावतः उग्र माने जाते है। ६. पुराणानुसार एक दानव का नाम। ७. धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम। ८. केरल देश का पुराना नाम। ९. सहिजन का वृक्ष। १. बछनाग या वत्सनाभ नामक विष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उग्र :
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वि० [सं० उच् (एकत्रित करना)+रक्, ग, आदेश] [भाव० उग्रता, स्त्री० उग्रा] १. जो अपने आकार-प्रकार, रूप-रंग आदि की विकरालता के कारण देखनेवालों के मन में आतंक, आशंका या भय का संचार करता हो। जैसे—एक ओर काली, नृसिंह, वराह आदि की उग्र मूर्तियाँ रखी थी। २. जो क्रोध, वैर-विरोध आदि के प्रसंगों में क्रूरता या निर्दयता का व्यवहार करनेवाला हो। बल-प्रयोग करके कष्ट या हानि पहुँचा सकनेवाला। जैसे—परशुराम का उग्र रूप देखकर सब लोग धर्रा गये। ३. जो अपनी तीव्र प्रकृति या कर्कश स्वभाव के कारण सहज में शांत न हो सकता हो और इसी लिए जिसके साथ निर्वाह या व्यवहार करना बहुत कठिन हो। जैसे—ठाकुर साहब ऐसे उग्र थे कि घर के बच्चे भी उनके पास जाने से डरते थे। ४. (कार्य या विचार) जिसमें शांति या सौम्यता के बदले आवेश, कठोरता, नृशंसता आदि बातें अधिक हों अथवा जो व्यवहारिक क्षेत्र में उत्कट या विकट रूप में सक्रिय रहता हो। जैसे—(क) अराजकों की उग्र विचारधारा। (ख) आतताइयों की उग्र कार्य-प्रणाली। (ग) विरोधियों का उग्र प्रदर्शन। ५. जो असाधारण रूप से घन, तीव्र या प्रबल होने के कारण अधिक कष्ट देनेवाला हो। काया या शरीर पर जिसका विशेष कष्टदायक परिणाम प्रभाव होता हो। जैसे—(क) जंगली जातियों के उपचार और चिकित्साएँ प्रायः उग्र होती है। (ख) पार्वती की उग्र तपस्या देखकर सब लोग घबरा गये। ६. जो अपनी प्रबलता, वेग आदि के कारण घातक या हानिकारक सिद्ध हो सकता हो। अति तीव्र और दुखद। जैसे—उग्र मनस्ताप, उग्र महामारी आदि। ७. जो अपनी मात्रा की अधिकता के कारण सहज में सहा न जा सके। जैसे—उग्र गंध। पुं० १. महादेव। शिव। २. विष्णु। ३. सूर्य। ४. क्षत्रिय पिता और शूद्र माता से उत्पन्न एक प्राचीन संकर जाति जिसका स्वभाव मन के अनुसार बहुत उग्र तथा क्रूर था। ५. ज्योतिष में, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, मघा और भरणी ये पाँच नक्षत्र जो स्वभावतः उग्र माने जाते है। ६. पुराणानुसार एक दानव का नाम। ७. धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम। ८. केरल देश का पुराना नाम। ९. सहिजन का वृक्ष। १. बछनाग या वत्सनाभ नामक विष। |
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उग्र-गंध :
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पुं० [ब० स०] ऐसी वस्तु जिसकी गंध बहुत अधिक उग्र या तेज हो। जैसे—लहसुन, हींग आदि। |
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पुं० [ब० स०] ऐसी वस्तु जिसकी गंध बहुत अधिक उग्र या तेज हो। जैसे—लहसुन, हींग आदि। |
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उग्र-धन्वा (न्वन्) :
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पुं० [ब० स०] १. इद्र। २. शिव। |
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पुं० [ब० स०] १. इद्र। २. शिव। |
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उग्रगंधा :
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स्त्री० [सं० उग्रगंध+टाप्] १. अजवायन। २. अजमोदा। ३. बच। ४. नकछिकनी। |
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स्त्री० [सं० उग्रगंध+टाप्] १. अजवायन। २. अजमोदा। ३. बच। ४. नकछिकनी। |
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उग्रता :
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स्त्री० [सं० उग्र+तलस्-टाप्] १. ‘उग्र’ होने की अवस्था या भाव। तेजी। प्रचंड़ता। २. मन की वह अवस्था जिसमें क्रोध आदि एक कारण दया, स्नेह आदि कोमल भावनाएँ बिलकुल दब जाती है। (साहित्य में यह एक संचारी भाव माना गया है)। |
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उग्रता :
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स्त्री० [सं० उग्र+तलस्-टाप्] १. ‘उग्र’ होने की अवस्था या भाव। तेजी। प्रचंड़ता। २. मन की वह अवस्था जिसमें क्रोध आदि एक कारण दया, स्नेह आदि कोमल भावनाएँ बिलकुल दब जाती है। (साहित्य में यह एक संचारी भाव माना गया है)। |
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उग्रशेखरा :
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स्त्री० [सं० उग्र-से खर,कर्म०स०+अच्-टाप्] उग्र अर्थात् शिव के मस्तक पर रहनेवाली, गंगा। |
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स्त्री० [सं० उग्र-से खर,कर्म०स०+अच्-टाप्] उग्र अर्थात् शिव के मस्तक पर रहनेवाली, गंगा। |
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उग्रसेन :
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पुं० [सं० ब० स०] १. मथुरा के राजा कंस के पिता का नाम। २. महाराज परीक्षित के एक पुत्र का नाम। |
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पुं० [सं० ब० स०] १. मथुरा के राजा कंस के पिता का नाम। २. महाराज परीक्षित के एक पुत्र का नाम। |
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उग्रह :
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पुं० [सं० उदग्रह] १. ग्रह या बंधन से मुक्त होने की क्रिया या भाव। २. ग्रहण से चंद्रमा या सूर्य के मुक्त होने की अवस्था या भाव। |
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पुं० [सं० उदग्रह] १. ग्रह या बंधन से मुक्त होने की क्रिया या भाव। २. ग्रहण से चंद्रमा या सूर्य के मुक्त होने की अवस्था या भाव। |
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उग्रहना :
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स० [सं० उग्रह] १. छोड़ना। त्यागना। २. उगलना। ३. दे० ‘उगाहना’। |
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स० [सं० उग्रह] १. छोड़ना। त्यागना। २. उगलना। ३. दे० ‘उगाहना’। |
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उग्रा :
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स्त्री० [सं० उग्र+टाप्] १. दुर्गा। महाकाली। २. अजवायवन। ३. बच। ४. नकछिकनी। ५. धनिया। ६. उग्र स्वभाववाली या कर्कशा स्त्री। ७. निषाद स्वर की पहली श्रुति। |
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स्त्री० [सं० उग्र+टाप्] १. दुर्गा। महाकाली। २. अजवायवन। ३. बच। ४. नकछिकनी। ५. धनिया। ६. उग्र स्वभाववाली या कर्कशा स्त्री। ७. निषाद स्वर की पहली श्रुति। |
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