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आपा  : पुं० [हिं० आप-स्वयं] १. अपना अस्तित्व या सत्ता। निजस्व। २. अपनी सत्ता के संबंध में हनेवाला ज्ञान या भान। अहंभाव। मुहावरा—आपा खोना, डालना, तजना या मिटाना=अपनी सत्ता का विचार या ध्यान छोड़ देना। मन में अहंभाव या अहंमन्यता न रहने देना। निरभिमान होना। (त्याग निस्प-हता विरक्ति आदि का लक्षण) आपा सँभालना-वयस्क या सयाने होकर अपना भला बुरा समझने के योग्य होना। ३. अपने पद, योग्यता आदि का ध्यान या विचार। मुहावरा—आपा खोना=दे०आपे से बाहर होना। आपे में आना=क्षणिक आवेश या मनोविकार के प्रभाव से निकलकर साधारण स्थिति में आना। होश-हवास ठिकाने रखना। जैसे—बहुत बहक चुके अब जरा आपे में जाओ। आपे से बाहर होना=क्रोध के वश में अपने पद मर्यादा आदि का ध्यान छोड़कर उग्र रूप धारण करना।
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आपा  : पद—पुं० आत्मपद (मोक्ष)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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आपा-धापी  : स्त्री० [हिं० आपा=धापी का अनुकरण+धापना] १. ऐसी स्थिति जिसमें सभी लोग अपना अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगे रहें हों और दूसरे के हानि लाभ का ध्यान न रखतें हों। २. खींचतान। लाग-डाँट।
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आपात  : पुं० [सं० आ√पत् (गिरना)+घञ्] [वि० आपातिक] १. ऊपर या बाहर से आकर गिरना। २. गिरना। पतन। ३. घटना का अचानक घटित होना। ४. वह घटना या बात जो अचानक ऐसे रूप में सामने आ जाए जिसकी पहले से कोई आशा, कल्पना या संभावना न हो। (एमर्जेन्सी)।
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आपाततः  : अव्य० [सं० आपात+तस्] १. अकस्मात्। अचानक। २. अंत में। आखिरकार।
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आपातलिका  : स्त्री० [सं० ] एक प्रकार का छंद जो वैताली छंद के विषम चरणों में ६ और सम चरणों में ८ मात्राओं के उपरांत एक भगण और दो गुरु रखने से बनता है।
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आपातिक  : वि० [सं० आपात+ठक्-इक] १. नीचे उतरनेवाला। २. अचनाक सामने आनेवाला। ३. इस प्रकार या ऐसे रूप में सामने आनेवाला जिसकी पहले से कल्पना या संभावना न हो। आत्यायिक। (एमर्जेन्ट)
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आपाती (तिन्)  : वि० [सं० आ√पत्+णिनि] १. नीचे आने उतरने या गिरनेवाला। २. आक्रमण करने या ऊपर टूट पड़नेवाला। ३. बिना आशा या संभावना के अचानक घटित होनेवाला। (एमर्जेन्ट)
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आपाद  : अव्य० [सं० आ√पद्(गति)+घञ्] पैर या पैरों तक। पुं० १. वह जो प्राप्त या सिद्ध किया गया हो। २. पुरस्कार। ३. पारिश्रमिक।
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आपाद-मस्तक  : अव्य० [सं० पाद-मस्तक, द्वं० स० आ-पादमस्तक, अव्य० स०] १. पैरों से सिर तक। २. आदि से अंत तक।
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आपान  : पुं० [सं० आ√पा (पीना)+ल्युट्-अन] १. कई आदमियों का साथ बैठकर मद्य या शराब पीना। २. उक्त प्रकार से बैठकर मद्य पीने का स्थान।
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आपानक  : पुं० [सं० आपान+कन्] १. मद्य पान की गोष्ठी। २. मद्य पीनेवाला व्यक्ति। उदाहरण—रजनी के आपानक का अब अंत है।—प्रसाद।
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आपायत  : वि० [सं० आप्यायित-वर्धित] प्रबल। बलवान। (डिं०)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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