शब्द का अर्थ
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अश्रु :
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पुं० [सं०√अश (व्याप्ति)+क्रुन्] १. आँखो में बहनेवाला तरल पदार्थ आँसू। २. साहित्य में, हर्ष, शोक, क्रोध, भय आदि के समय आँखों से आँसू बहना जो सात्त्विक अनुभवों के अंतर्गत माना गया है। |
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अश्रु-गैस :
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स्त्री० [सं० अश्रु+अं०गैस] शरीर के अंदर माथे के पास की वे ग्रन्थियाँ जो अश्रु या आँसू उत्पन्न करती हैं। (लैक्रिमल ग्लैड) |
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अश्रु-ग्रथि :
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स्त्री० [ष० त०] रासायनिक क्रिया से तैयार की जानेवाली एक गैस जिससे आँखों में जलन उत्पन्न होती है तथा अत्यधिक आँसू निकलने लगते हैं। (टीपर गैस)। |
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अश्रु-जल :
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पुं० [ष० त०] आँसू। |
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अश्रु-पात :
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पुं० [ष० त०] आँखों से आँसू गिरना या बहना। रोना। |
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अश्रु-मुख :
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वि० [ब० स०] जिसके मुख पर आँसू बहते हों। पुं० मंगल को अपने उदय नक्षत्र से १॰वें, ११वें और १२वें स्थान पर टेढ़ा चलना। (ज्यो०) |
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अश्रुत :
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वि० [सं० न० त०] १. (कथन) जो पहले सुनने में न आया हो। २. जिसने सुना न हो। |
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अश्रुत-पूर्व :
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वि० [सं० श्रुत-पूर्व, सुप्सुपा, स० अश्रुतपूर्व, न० त०] १. जो पहले कभी न सुना गया हो। २. विचित्र। अनोखा। |
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अश्रुति :
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वि० [सं० न० ब०] १. न सुननेवाला। २. जिसकी श्रवणेन्द्रियाँ न हों। स्त्री० [न० त०] १. न सुनना। २. भूल जाना। विस्मृति। |
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अश्रुतिघर :
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वि० [न० त०] १. वेदों को न जाननेवाला। २. ध्यानपूर्वक न सुनने वाला। ३. स्मरण न रखनेवाला। |
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