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शब्द का अर्थ

अलेख  : वि० [सं० न० ब०] १. जो सहज में समझ में न आवें। दुर्बोध। २. जो जाना न जा सके। अज्ञेय। वि० [हिं० अ+लेखा] जिसका लेखा, नाप-जोख या अंदाज न हो सके। बहुत अधिक। वि० [सं० अलक्ष्य] १. जो दिखाई न दो। २. जिसपर किसी का लक्ष्य या ध्यान न गया हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
अलेखा  : वि० =अलेख।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
अलेखी  : वि० [सं० अलेख] जिसका कोई लेखा या हिसाब न हो, अर्थात् बहुत अधिक। वि० [सं० अलक्ष्य] १. जो दिखाई न दो। २. जो या जैसा पहले कभी देखने में न आया हो। अभूत-पूर्व।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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