शब्द का अर्थ
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अर्थ-श्लेष :
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पुं० [स० त०] साहित्य में, श्लेष अलंकार के दो भेदों में से एक जिसमें किसी वाक्य का एक ही अर्थ एक से अधिक पक्षों में घटित होता है और उन पक्षों के वाचक मुख्य शब्दों के पर्याय रख देने पर भी श्लेष में कोई बाधा नहीं होती। जैसे—सुखदा, सिकदा, अर्थदा, जसदा, रस-दातारि। रामचंद्र की मुद्रिका, किधौं परम गुरूनारि, में यदि मुद्रिका और गुरू-नारि शब्दों के प्रर्याय रख दिये जाएँ तो भी श्लेष ज्यों का त्यों बना रहेगा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
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