शब्द का अर्थ
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अभिक :
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वि० [सं० अभि+कन्] लंपट। |
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समानार्थी शब्द-
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अभिकथन :
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पुं० [सं० अभि√कथ्(कहना)+ल्युट्-अन] [भू० कृ० अभिकथित] किसी पक्ष या व्यक्ति द्वारा किसी पर लगाया हुआ ऐसा आरोप या अभियोग जो अभी तक प्रमाणित न किया गया हो। (एलेगेशन) |
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अभिकरण :
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पुं० [सं० अभि√कृ (करना)+ल्युट्-अन] किसी बड़ी संस्था की ओर से किसी नियत क्षेत्र में काम करनेवाली कोई अधीनस्थ छोटी संस्था। (एजेंसी) |
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अभिकर्तृत्व :
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पुं० [सं० अभिकर्तृ+त्व] १. अभिकर्त्ता होने की अवस्था या भाव। २. दे० ‘अभिकरण’। |
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अभिकर्त्ता (र्तृ) :
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पुं० [सं० अभि√कृ+तृच्] १. वह जो किसी व्यक्ति या संस्था की ओर से उसके प्रतिनिधि के रूप में कुछ काम करने के लिए नियत हो। (एजेन्ट) २. वह जिसे किसी की ओर से संपत्ति आदि की व्यवस्था और विविध कार्य करने का अधिकार मिला हो। मुख्तार। |
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अभिकर्त्ता-पत्र :
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पुं० [सं० अभिकर्तृ-पत्र] वह पत्र जिसेक अनुसार कोई किसी का अभिकर्त्ता नियत हुआ हो। मुख्तारनामा। |
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अभिकलन :
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पुं० [सं० अभि√कल्(गिनना)+ल्युट्-अन] [भू० कृ० अभिकलित] परिकलन का वह गंभीर प्रकार या रूप जिसमें अनुभवों, बाहरी घटनाओं, निश्चित सिद्धान्तों आदि से भी सहायता की जाती है। (कम्प्यूटेशन) जैसे—ज्योतिष में, आँधियों, भूकम्पों आदि की भविष्यद् वाणी अभिकलन के आधार पर ही होती है। |
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अभिकल्प :
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पुं० [सं० अभि√कृप (सामर्थ्य)+घञ्, गुण, र काल, आदेश] [भाव० अभिकल्पन भू० कृ० अभिकल्पित] किसी पदार्थ विशेषतः यंत्र आदि को जाँचकर ठीक करने या कल-पुरजों को अलग-अलग करना और तब उन्हें यथास्थान बैठाना। (ओवरहॉलिंग) |
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अभिकल्पन :
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पुं० [सं० अभि√कृप+ल्युट्-अन] अभिकल्प करने की क्रिया या भाव। (ओवरहॉलिंग) |
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अभिकल्पना :
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स्त्री० [सं० अभि√कृप+णिच्+युच्-अन] १. ऐसी कल्पना या कल्पित बात जो किसी तर्क आदि का आधार मान ली गई हो। (एजेम्पशन) २.=अभिकल्पन। |
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अभिकाँक्षा :
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स्त्री० [सं० अभि√कांक्ष (चाहना)+अ-टाप्] अभिलाषा। इच्छा। |
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अभिकाम :
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वि० [सं० अभि√कम्(चाहना)+णिच्+अच्] १. चाहनेवाला। इच्छुक। २. स्नेही। ३. कामुक। पुं० [अभि√कम्(विक्षेप)+घञ्] १. इच्छा। २. कामना। ३. अनुराग। प्रेम। |
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अभिकोश :
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पुं० [सं० अभि√कुश्(कोसना)+घञ्] १. निंदा। २. अपशब्द। |
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अभिक्त :
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वि० [सं० अभि√रु(शब्द)+क्त] १. जो मधुर शब्द कर रहा हो। २. गूँजनेवाला। ३. जिसमें गुंजन होता हो। गुंजित। कूकता हुआ। कूजित। पुं० आवाज। शब्द। |
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अभिक्ता :
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स्त्री० [सं० अभिरूत+टाप्] संगीत में एक मूर्च्छना। |
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अभिक्रम :
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पुं० [सं० अभि√क्रम्+ल्युट्-अन] आगे की ओर बढ़ना। |
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अभिक्रमण :
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पुं० [सं० अभि√कम्+ल्युट्-अन] १. आगे की ओर बढ़ने की क्रिया या भाव। २. आक्रमण। धावा। |
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अभिक्रांति :
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स्त्री० [सं० अभि√क्रम+क्तिन्] किसी वस्तु को एक स्थान से दूसरे स्थान पर रखने की क्रिया या भाव। विस्थापन। (डिस्प्लेस्मेन्ट) |
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