शब्द का अर्थ
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अनुबंध :
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पुं० [सं० अनु-√अंश् (बाँधना)+घञ्] [वि० अनुबद्ध] १. आपस मे या एक दूसरे के साथ बाँधनेवाला तत्त्व या संबंध। बन्धन। २. अंगों, जीवों, वस्तुओं आदि में आवश्यक और अनिवार्य रूप से होनेवाला घनिष्ठ पारस्परिक संबंध। (को-रिलेशन) ३. किसी प्रकार का आपसी ठहराव, संविता या समझौता। (एग्रिमेन्ट) ४.लिखित समझौता। संविदा। ५. परिणाम। फल। ६. अपत्य। संतान। ७. उद्देश्य। ८. प्रवृत्ति। ९. किसी बड़े या विकट रोग के साथ होनेवाले दूसरे गौण कष्ट या विकार। १. आरंभ। ११. मार्ग। १२. ग्रंथ का प्रकरण या परिच्छेद। १३. पाणिनीय व्याकरण में गुण, वृद्धि आदि के लिए उपयोगी एक सांकेतिक वर्ण, जो प्रत्यय में रहता है। १४. वैद्यका में वात, पित्त और कफ में से वह तत्त्व जो समय विशेष में अप्रधान हो। |
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अनुबंध-चतुष्टय :
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पुं० [ष० त०] विषय, प्रयोजन अधिकारी और संबंध इन चारों का समुदाय। |
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अनुबंध-पत्र :
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पुं० [ष० त०] वह पत्र जिसमें किसी अनुबंध की शर्ते लिखी हों। इकरारनामा। (एग्रिमेन्ट) |
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अनुबंधक :
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वि० [सं० अनु-प्र√बंध् +ण्युल्-अक] अनुबंध करनेवाला। |
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अनुबंधन :
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पुं० [सं० अनु-प्र√बंध् +ल्युट्-अन] १. अनुबंध करने या होने का भाव। २. क्रम। सिलसिला। |
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अनुबंधी (धिन्) :
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वि० [सं० अनुबन्ध+इनि] १. संबंध या लगाव रखनेवाला। २. (व्यक्ति या विषय) जिसका संबंध अनुबंध से हो। ३.परिणाम या फल के रूप में होने वाला। स्त्री० १. प्यास। २. हिचकी। |
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