शब्द का अर्थ
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अच्छि :
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स्त्री० [सं० अक्षि) आँख। उदाहरण—अच्छिनि उधार ऊधौ करहु प्रतच्छ लच्छ इति पसु पच्छिनि हूँ लाग है लगन मैं—रत्नाकर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अच्छिद्र :
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वि० [सं० न० ब०] १. जिसमें छेद या छिद्र न हो। २. जिसमें त्रुटि, दोष आदि न हों। निर्दोष। ३. जो भग्न न हो। अखंडित। पुं० १. ऐसा कार्य जिसमें कोई त्रुटि या दोष न हो। २. एक-सी बनी रहने की दशा या स्थिति। |
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अच्छिन :
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अव्य० [सं० अस्मिन्वने श्रणे) १ शीघ्रता पूर्वक। २. अभी। उदाहरण—दरस हेत तिय लिखति पीय सियरावहु अच्छिन-सेनापति। |
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अच्छिन्न :
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वि० [सं० न० त०] १. जो छिन्न (काटा, तोड़ा, फोड़ा) न गया हो। २. जिसे विभक्त न किया गया हो। ३. जिसके टुकड़े न किये जा सकते हो। अवियोज्य। (इनसेप, रेबल) ४. जो किसी एक ठीक या निश्चित क्रम से चलें। ५. अटूट। |
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अच्छिन्न-पत्र :
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पुं० [सं० न० ब०] १. वह वृक्ष जिसकी पत्तियाँ किसी ऋतु में झड़ती न हों। सदा बहार पेड़। २. ऐसे पक्षी जिनके पर कटे न हों या काटे न गये हों। |
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अच्छिन्नपर्ण :
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पुं०=अच्छिन्न-पत्र। |
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अच्छिय :
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वि० =अच्छा। |
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अच्छिर :
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पुं० [सं० अक्षर) १. अक्षर। २. निमन्त्रण पत्र। उदाहरण—वंचि विचारिए दाहिमा निमित्त अच्छिर नूत-चन्द्रवरदाई। |
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