शब्द का अर्थ
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अकार :
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पुं० [सं० अ+कार] अ अक्षर और उसकी उच्चारण—ध्वनि। पुं० दे० ‘आकार’। पुं०=आकाश। उदाहरण—दान मेरू बढ़ि लाग अकाराँ—जायसी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अकारज :
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पुं०=अकाज।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अकारण :
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वि० [सं० न० ब०] १. जिसके मूल में कोई कारण न हो। जैसे—अकारण वैमनस्य। २. जो आपसे आप उत्पन्न हुआ हो। स्वयंभू। क्रि० वि० बिना किसी कारण या वजह के। आप से आप। यों हीं। |
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अकारथ :
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वि० [सं० अकार्यार्थ] जिसका कोई अच्छा फल या परिणाम न हो। बे-फायदा। जैसे—सारा परिश्रम अकारथ गया। क्रि० वि० बिना किसी उपयोग या फल के। यों ही। व्यर्थ। |
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अकारन :
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वि०=अकारण। |
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अकारांत :
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वि० [सं० अकार-अंत, ब० स०] जिसके अंत में ‘अ’ हो। |
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अकारादि :
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वि० [सं० अकार-आदि, ब० स०] जिसके आदि या आरंभ में ‘अ’ या अकार हो। |
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अकारिय :
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वि० =अकारथ। उदाहरण—गौर मुख्य वपु स्याम गिरन सम नख्य अकारिय।—चन्दबरदाई।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अकार्य :
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वि० [सं० न० त०] १. (काम) जो किये जाने के योग्य न हो। अकर्तव्य। २. अनुचित। बुरा। पुं०=अकर्म। |
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