शब्द का अर्थ
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अंक :
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पु० [सं०√अंक चिन्ह करना) +अच्; लै ० |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अँक रोरी :
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स्त्री०- अँक-रोरी। |
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समानार्थी शब्द-
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अंक-करण :
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पुं० [ष० त०] =अंकन। |
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अंक-कार :
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पुं० [सं० अंक√ कृ करना+अण्] १. वह व्यक्ति जो खेलों (आज-कल विशेषत गेंद-बल्ले आदि के खेलों) में खिलाड़ियों से नियम पालन कराने और विवादास्पद बातों का निर्णय करने के लिए नियुक्त होता है। (अम्पायर) २. वह जो अंक दे। |
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अंक-गणित :
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पुं० [ष० त०] गणित की वह शाखा जिसमें १, २, ३ आदि संख्याओं तथा जोड़, बाकी, गुणा, भाग आदि की सहायता से प्रश्नों के उत्तर निकाले जाते हैं। हिसाब। (एरिथमेटिक) |
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अंक-गत :
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भू० कृ० [द्वि० त०] १. जिसे गोद में लिया गया हो। गोद में लिया हुआ। २. पकड़ में आया हुआ। |
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अंक-तंत्र :
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पुं० [ष० त०] १. अंक गणित। २. बीज-गणित। |
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अंक-धारण :
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पुं० [ष० त०] त्वचा से गरम धातु से सांप्रदायिक चिन्ह (चक्र, त्रिशूल, शंख आदि) छपवाना या दगवाना। |
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अंक-धारी :
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(रिन्)-वि० [सं० अंक√घृ (धारण करनाः+ णिनि] [स्त्री० अंकधारिणी] जिसने अपनी त्वचा पर अंक या चिन्ह छपवाये या दगवाये हों। |
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अंक-पत्र :
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पुं० [ष० त० भू० कृ० अंक-पत्रित] १. कागज का वह छोटा टुकड़ा जिस पर चिन्ह छाप आदि लगे हों। २. शासन द्वारा छापा हुआ कागज का वह टुकड़ा जो कुछ निश्चित मूल्य का तथा इस बात का सूचक होता है कि कर शुल्क आदि की उतनी रकम चुकती कर दी गयी है, जो उस पर अंकित होती है। टिकट (स्टाम्प)। |
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अंक-पत्रित :
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भू० कृ० [सं० अंकपत्र√इतच्] जिस पर अंक-पत्र चिपकाया या लगाया गया हो। (स्टाम्प्ड)। |
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अंक-पद्धति :
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स्त्री०- [सं० त ०] १. अंकित करने, चिन्ह बनाने आदि का कोई ढंग या पद्धति। २. दे० ‘अंकनी’। |
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अंक-परिवर्तन :
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पुं० [ष० त०] १. करवट लेना या बदलना। २. नाटक मे एक अंक की समाप्ति के पर दूसरे अंक का प्रारम्भ होना। |
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अंक-पलई :
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स्त्री० [सं० अंक-पल्लव] लिखने का एक गोपनीय प्रकार जिसमें अक्षरों या वर्णों को स्थान पर अंको का प्रयोग किया जाता है। |
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अंक-पाल :
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वि० [सं० अंक पाल (पालन करना)+ ण्चि+अच्] गोद में खिलानेवाला। पुं० दास। सेवक। |
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अंक-पालि :
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(का) स्त्री० [सं० अंक√पाल+ण्चि+इन्, अंकपालि+कन्-टाप] १. आलिंगन। २. गोद में खिलाने वाली स्त्री०। दाई। |
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अंक-पाली :
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स्त्री० [सं० अंकपालि-डीष] १. अंक पालि। २. एक गन्ध द्रव्य का नाम। |
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अंक-पाश :
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पुं० [कर्म० स०] बाहु-पाश। |
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अंक-माला :
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स्त्री० [ष० त०] १. बहुत से अंकों का समूह। जैसे—एक से सौ तक की अंक माला। २. छोटी माला। |
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अंक-मालिका :
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स्त्री० [ष० त०] अंक-माला। |
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अंक-मुख :
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पुं० [ष० त] नाटक के आरम्भ का भाग, जिसमें कथानक अत्यन्त्र संक्षेप में दिया जाता है। |
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अंक-रौरी :
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स्त्री० [हि०अँकरा, सं० इष्टक+रोरी। सं० लोष्ट] कंकड़ी। उदा० काँट न गड़े न गड़े अंकरौरी।—जायसी। |
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अंक-लोप :
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पुं० [ष० त०] अंको के घटने या घटाने की क्रिया या भाव। |
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अंक-शायिनी :
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स्त्री० [सं० अंक√ शी+सोना] +णिनि-डीप] स्त्री, जो पुरुष के साथ शयन करती हो। |
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अंक-शायी (यिन्) :
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[सं० अंक√ शी+णिनि] बगल में सोनेवाला। |
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अंक-शास्त्र :
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पुं० [ष० त०] वह विद्या या शास्त्र जिसमें संख्या सम्बन्धी तथ्यों का निरूपण, वर्गीकरण, संग्रह आदि किया जाता है। (स्टैटिस्ट्-इक्स्) |
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अंकक :
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वि० [सं०√अंक+ण्वल्-अक (स्त्री० अंकिका)] १. अंको की गिनती करने वाला। २. चिन्ह, छाप या निशान लगाने वाला। पुं० वह करण जिससे चिन्ह या छाप लगाई जाती है। मोहर। (स्टाम्प) |
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अंकखरी :
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स्त्री०=कंकड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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अँकटा :
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पुं० [सं० इष्टका] कंकड़, पत्थर आदि का बहुत छोटा टुकड़ा। |
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अँकटी :
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स्त्री० [अँकटा का अल्पा० रूप] छोटी कंकड़ी। |
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अँकड़ा :
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पुं०=अँकटा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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अँकड़ी :
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स्त्री० [सं० इष्टका] १. छोटी कंकड़ी। २. कँटिया। हुक। ३. मछली फँसाने वाला हुक। ४. टेढ़ा या मुड़ा हुआ फल। ५. फल तोड़ने का बाँस जिसके सिर पर एक छोटी लकड़ी बँधी रहती है। लग्गी। ६. बेल। लता। |
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अंकति :
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पुं० [सं०√अञ्च् (जाना)+अति, कुत्व] १. अग्नि। २. वायु। ३. ब्रहा। ४. अग्निहोत्री। |
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अंकन :
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पुं० [सं०√अंक्+ल्युट-अन्] भू० कु० अंकिता] १. अंक या चिन्ह बनाने की क्रिया या भाव। २. सांप्रदायिक चिन्ह गरम धातु आदि से छपवाने की क्रिया या भाव। ३. कलम या कूची से चित्र बनाना। ४. लिखना। ५. गिनती करने की क्रिया या भाव। ६. अंक लगाना या देना। ७. श्रेणी विशेष में किसी की गिनती करना। |
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अंकना :
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सं० [सं० अंकन] १. अंक देना, बनाना या लगाना। २. अंकन या चित्रण करना। ३. मूल्य स्थिर या निर्धारित करना। ४. श्रेणी विशेष आदि में किसी की गिनती करना। अ० १. आँका या कूता जाना। २. अंकित किया या लिखा जाना। |
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अंकनी :
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स्त्री० [सं० अंकन+ड्रीप] १. अंक, मान, संख्या आदि कुछ विशिष्ट प्रकार के चिन्हों के द्वारा अंकित करने या लिखने का ढंग या पद्धति अंकन पद्धति। (नोटेशन) जैसे—संगीत में किसी धुन, लय या राग की अंकनी। |
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अंकनीय :
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वि० [सं०√अक्+अनीयर्] १. अंकन या चित्रण किये जाने योग्य। २. जिसका अंकन या चित्रण किया जाने को हो। |
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अँकरा :
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पुं० [सं० अंकुर] १. अंकटा (कंकड़) २. खेतों में एक प्रकार की होने वाली घास जिसके दाने गरीब लोग खाते हैं। |
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अँकरास :
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पुं०=अकरास। |
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अँकरी :
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स्त्री० (अंकरा का अल्पा०) छोटी ककड़ी। |
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अँकवाई :
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स्त्री० [हि० आँकना+वाई प्रत्यय] १. अँकवाने की क्रिया का भाव। २. अँकवाने का पारिश्रमिक। |
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अँकवाना :
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सं० [हि० आँकना क्रिया का प्रे० रूप] १. अन्य व्यक्ति से आँकने का काम करवाना। २. किसी से जाँच करवाना। ३. दूसरे व्यक्ति से अंकन करवाना। ४. मूल्य या दर निश्चित करवाना। |
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अँकवार :
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स्त्री० [सं० अंकपालिका, प्रा० अंकवारिया] १. वक्ष-स्थल। २. हदय। ३. गोद। मुहा०—अँकवार देना या भरना-गले लगाना। भेंट अँकवार=आलिंगन। |
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अँकवारना :
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सं० [हि० अँकवार] गले लगाना। आलिंगन करना। |
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अँकवारि :
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स्त्री०=अँकवार। |
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अंकस :
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पुं० [सं०√अञ्च् (गति) +असुन, कुत्व, अंकस्+अच्] १. शरीर। २. चिन्ह। वि० चिन्ह-युक्त। |
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अंकस् :
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गु० अंक, आंक आकड़ों; सि० अंगु, का० आँख; सिंह० अंक; मरा० अंक] [वि० अंकनीय, अंकित अंक्य, भाव अंकन] १. बैठे हुए। मनुष्य का, सामने का कमर से घुटनों तक का उतना अंश, जितने में बच्चों आदि को बैठाया जाता है। कोड़। गोद। मुहा०—अंक देना, भरना या लगाना=(क) बच्चे आदि को प्रेमपूर्वक गोद आदि में बैठाना। (ख) गले लगाना, आलिंगन करना। अंक में नमाना या नमावना=अति प्रसन्न होना। फूले अंगों न समाना। उदा०—फूले फिरत अंक नहिं मावत।—सूर। २. कटि प्रदेश। कमर। ३. चिन्ह, छाप या निशान। ४. लेख। लिखावट। ५. संख्या के सूचक चिन्ह। (फिगर) जैसे—१, २, ३, ४ आदि। ६. खेल, परीक्षा आदि में योग्यता, सफलता आदि की सूचक इकाइयाँ। नम्बर जैसे—कबड्डी में सात अथवा गणित में दस अंक हमें मिले हैं। ७. अंश। उदा० एकहु अंक न हरि भजे रे सठ सूर गँवार।—तुलसी। ८. भाग्य। प्रारब्ध। ९. धब्बा। दाग। १. बच्चों को नजर लगने से बचाने के लिए उनके माथे पर लगाई जाने वाली बिन्दी। ११. शरीर। देह। १२. नाटक का एक खण्ड या भाग जिसमें कई दृश्य होते है। १३. रूपक के दस भेदों में से एक। १४. नौ की संख्या। १५. पत्र-पत्रिकाओं आदि का कोई निश्चित समय पर या समय विशेष पर होने वाला प्रकाशन (नम्बर)। १६. पर्वत। १७. दुःख। १८. पाप। |
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अंकाई :
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स्त्री० [सं० अंकन] १. आँकने की क्रिया या भाव। अंकन। २. आंकने या अँकन् करने का पारिश्रमिक। ३. फसल में से जमींदार और काश्तकार के हिस्सों का ठहराव। दानाबंदी। |
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अंकांक :
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पुं० [अंक-अंक, ब० स०] जल। पानी। |
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अँकाना :
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सं० =अँकवाना। |
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अँकाव :
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स्त्री० [हि० आँकना) आँकने की क्रिया या भाव। |
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अंकावतार :
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पु० सं० अंक-अवतार, ष० त०) नाटक में एक अंक की समाप्ति पर पात्रों का संकेत से यह बतलाना कि अगलें अंक में क्या-क्या बातें होंगी। |
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अंकित :
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भू० कृ० [सं० अंक+क्त] १. जिसका अंकन किया गया हो। जैसे—अंकित चित्र। २. जिसपर अंक या चिन्ह बना हो। ३. लिखा हुआ लिखित। ४. चित्र के रूप में बना हुआ चित्रित। ५. जिस पर अंकक या मोहर लगाई गई हो। |
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अंकित मूल्य :
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पुं० [कर्म सं० ] किसी वस्तु का वह मूल्य जो उस पर अंकित होता है (आंतर मूल्य से भिन्न) (फेस वैल्यू)। |
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अंकितक :
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वि० [सं० अंकित +कन्] कागज का वह छोटा टुकड़ा जिस पर किसी वस्तु, व्यक्ति आदि का नाम, विवरण आदि लिखे हों। (लेबुल)। |
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अंकिनी :
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स्त्री० [सं०√अंक+इनि-डीप] १. चिन्हों का समूह। २. चिन्होंवाली स्त्री०। |
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अंकिल :
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वि० [सं०√अंक+इच्] चिन्ह या दागवाला। पुं० दागा हुआ साँड़। |
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अंकी :
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स्त्री० [सं० अंक√अच्-डीष्] छोटा नगाड़ा। |
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अँकुड़ा :
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पुं० [सं० अंकुरक] स्त्री० अल्पा० अँकुड़ी] १. कोई चींज टाँगने, निकालने या फँसाने के लिए बना हुआ टेढ़ा काँटा। टेढ़ी कटिया। हुक। २. गाय, बैल के पेट में होने वाला मरोड़, ऐंठन। ३. रेशमी कपड़ा बुनने वालों का एक रेशमी औजार। |
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समानार्थी शब्द-
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अंकुर :
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पुं० [सं०√अंक+उरच्] १. गुठली, बीज आदि में से निकलने वाला नया डंठल, जिसमें छोटी-छोटी पत्तियाँ लगी होती है। २. पौंधों, वृक्षों आदि की जड़, डाल या तने में से उगनेवाला ऐसा नया पत्ता। कि प्र० आना। जमना। निकलना। फूटना। ३. फूल का आरम्भिक तथा अध खिला रूप, कली। ४. घाव भरने के समय उसमें दिखाई देने वाले माँस के छोटे-छोटे दाने जो घाव के ठीक तरह से भरे जाने के सूचक होते हैं। अंगूर। ५. आगे का नुकीला भाग, नोक। ६. ऐसे लक्षण जो किसी की भावी उन्नति, विकास आदि के सूचक होते हैं। ७. रहस्य-सम्प्रदाय में (क) अहंकार और (ख) उच्च कोटि के. ज्ञान का आरंभिक रूप। ८. खून, रक्त। ९. शरीर का रोआँ। लोम। १॰. जल, पानी। ११. बाल-बच्चे, संतान। |
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समानार्थी शब्द-
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अंकुरक :
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पुं० [सं०√अञ्च् जाना+घुरच्, अंकुर+क] पशु-पक्षियों के रहने का स्थान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अंकुरण :
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पुं० [सं० अंकुर+ क्विन् + ल्युट्-अन् ?] [भू० कृ० अंकुरित] अंकुर के रूप में आने की क्रिया या भाव। बोये हुए बीज आदि का अँकुरित होना। (जरमिनेशन) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अँकुरना :
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अं० [सं० अंकुर] अंकुर निकलना या फूटना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अँकुराना :
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सं० [सं० अंकुरण] अंकुरित होने में प्रवृत करना। अंकुर उत्पन्न राना। अ०=अँकुरना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अंकुरित :
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भू० कृ० [सं० अंकुर+इतच्] १. अंकुर के रूप में निकला हुआ या फूटा हुआ। २. उत्पन्न, उद्भूत ३. (गुठली या बीज) जिसमें से अंकुर निकले हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अंकुरित-यौवना :
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स्त्री० [ब० स०, टाप्] वह लड़की जिसका यौवनकाल आरम्भ हो रहा हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अँकुरी :
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स्त्री० [हि० अंकुर+ई प्रत्यय] १. अन्न के दाने जिनमें अंकुर या गाभ निकले हुए हों। २. इस प्रकार के अन्न की घुँघनी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अंकुश :
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पुं० [सं० √अंक्+उशच्] (भू० कृ० अकुशित) १. भाले की तरह का वह दो मुहाँ अँकुड़ा या काँटा जिससे हाथी चलाया और वश में किया जाता है, गज-बाग। २. वह अधिकार, तत्त्व या शक्ति जिससे किसी को अधिकारपूर्वक किसी कार्य के लिए अग्रसर किया जा सके अथवा रोका जा सके। ३. नियंत्रण या वश में रखने की क्रिया या भाव। ४. दबाव, नियंत्रण या रोक। क्रि० प्र० —मानना। रखना।—लगाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अंकुश :
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(ा) पुं०=अंकुशा। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अंकुश-ग्रह :
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पुं० [ष० त०] महावत, हाथीवान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अंकुश-दंता :
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पुं० [सं० अंकुश+हि० दाँत] वह हाथी जिसका एक दाँत सीधा और दूसरा झुका हुआ या टेढ़ा होता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अंकुश-धारी :
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(रिन्)- पुं० [सं० अंकुश√धृ (धारण करना) + णिनि] १. वह जिसके हाथ में अंकुश हो। २. महावत, हाथीवान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अंकुश-मुद्रा :
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स्त्री० [मध्य० सं० ] तंत्र में उँगलियों की अंकुश जैसी बनी हुई आकृति या मुद्रा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अंकुशा :
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स्त्री० [सं० अंकुश√अच्-टाप्] चौबीस जैन देवियों में से एक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अंकुशित :
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भू० कृ० [सं० अंकुश+इतच्] अकुश द्वारा चलाया या बढ़ाया हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अंकुशी :
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(शिन्) वि० [सं० अंकुश+इनि] १. अंकुश युक्त। अंकुशवाला। २. अंकुश की सहायता से वश में करने वाला। स्त्री०-अंकुशा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अँकुसी :
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स्त्री० [सं० अंकुश] १. अंकुश के आकार की कोई छोटी चीज। २. कोई चीज टाँगने या फँसाने का छोटा अँकुड़ा या काँटा। ३. चूल्हे आदि में से कोयला या राख निकालने का छोटा टेढ़ा छड़। ४. पेड़ों से फल तोड़ने की लग्गी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अँकूर :
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पुं० =अंकुर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अंकूष :
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पुं० [सं०√अंक् चिन्ह करना)+ऊषच्] १. अंकुश। २. नकुल। नेवला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अंकेक्षक :
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पुं० [सं० अंक-ईक्षण, ष० त०] १. वह जो लेखा लिखता हो। २. बही खाते, लेखे-जोखे की जाँच करने वाला व्यक्ति (आडिटर)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अंकेक्षण :
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पुं० [सं० अंक-ईक्षण, ष० त०]) १. लेखा तैयार करना। २. बही-खाते, लेखे-जोखे या हिसाब-किताब का आधिकारिक रूप से जांच करना। (आडिड) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अंकोट :
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(क) पुं० [सं०√अंक् (चिन्ह करना)+ओट, अंकोट+कन्-अंकोल]। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अँकोर :
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पुं० [सं० अंक] स्त्री० अल्पा अँकोरी १. गले लगाने की क्रिया, भाव या मुद्रा। २. भेंट। नजर। ३. घूस रिश्वत। उदा०—हाकिम होई की खाई अँकोर—तुलसी। ४. खेत में काम करने वाले को भेजा जाने वाला कलेवा। छाक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अँकोरना :
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सं० [हि० अँकवार] झोली या गोद में लेना। उदा०—निज व्यंजन पक्ष से तू अँकोर सुध खोती-मैथिलीशरण गुप्त। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अंकोल :
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पुं० [सं०√अंक+ओलच्] पहाड़ी क्षेत्रों में होने वाला एक पेड़ जिसके पत्ते शरीफे के पेड़ के पत्तों-जैसे होते है और फल बेर के बराबर तथा काले होते हैं। इस पेड़ के फल तथा छाल कई रोगों के उपचार में काम आती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अंकोल-सार :
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पुं० [ष० त०] अंकोल वृक्ष से निकला हुआ विष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अंकोला :
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पुं० अंकोल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अंक्य :
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वि० [सं०√अंक+ण्यत्] १. जिसका अंकन हो सकता हो। २. जिसका अंकन किया जाने को हो। ३. अंकित किये जाने योग्य। पुं० [सं० अंक+य) गोद में रखकर बजाये जानेवाले तबला मृदंग आदि बाजे। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |