शब्द का अर्थ
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मसि :
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स्त्री० [सं०√मस्+इन्] १. रोशनाई। २. काजल। ३. कालिख। ४. निर्गुड़ीं का फल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मसि-कूपी :
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स्त्री० [सं० ष० त०] दावात। |
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मसि-जल :
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पुं० [सं० ष० त०] रोशनाई। |
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मसि-धान :
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पुं० [सं० ष० त०] दावात। |
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मसि-पण्य :
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पुं० [सं० ब० स०] लेखक। |
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मसि-पथ :
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पुं० [सं० ब० स०] कलम। |
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मसि-बिंदु :
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पुं० [सं० ष० त०] दावात। |
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मसि-बिंदु :
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पुं० [सं० ष०त] काजल, कालिख आदि की वह बिन्दी जो स्त्रियाँ बच्चों के गाल, माथे आदि पर उन्हें नजर से बचाने के लिए लगाती हैं। दिठौना। |
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मसि-बुंदा :
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पुं० [सं० मसिबिंदु] मसिबिंदु। |
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मसि-मणि :
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स्त्री० [सं० मध्य०स] दावात। |
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मसि-मुख :
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वि० [सं० ब० स०] १. जिसके मुँह पर कालिख पुती या लगी हो, अर्थात् कलमुँहा। २. दुष्कर्म करनेवाला। |
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मसिऔरा :
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पुं० [हिं० मांस+औरा (प्रत्यय)] मांस के योग से बना हुआ कोई खाद्य पदार्थ। |
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मसिकर :
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पुं० [सं० ष० त०] मसि अर्थात् स्याही बनानेवाला व्यक्ति। |
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मसित :
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भू० कृ० [सं०√मस् (परिवर्तन)+क्त, इत्व] चूर किया हुआ। |
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मसिंदर :
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पुं० [अ० मेसेंजर] जहाज में, लंगर उठाने का रस्सा। (लश०)। |
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मसिदानी :
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स्त्री० [सं० मसि+फा०दानी] दावात। |
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मसियर :
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स्त्री०=मशाल। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मसियाना :
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अ० [हिं० मांस] शरीर का भली-भाँति मांस से भर जाना। शरीर का मांसल होना। स० ऐसी क्रिया करना जिसमें किसी का शरीर मांसल अर्थात् हृष्ट-पुष्ट हो जाय। |
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मसियार :
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स्त्री०=मशाल। |
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मसियारा :
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पुं० =मशालची। |
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मसिल :
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पुं० =मैनसिल। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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