शब्द का अर्थ
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बैठक :
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स्त्री० [हिं० बैठना] १. बैठने की क्रिया, ढंग भाव या मुद्रा। जैसे—इस जानवर की बैठक ही ऐसी होती है। बैठकी। २. घर का वह कमरा जिसमें प्रायः आये-गये लोग बैठकर आपस में बात-चीत करते हैं। बैठका। ३. बैठने के लिए बना हुआ कोई आसन या स्थान। उदा०—अति आदर सों बैठक दीन्ही।—सूर। ४. नीचे का वह आधार जिस पर खंभा। मूर्ति या ऐसी ही और कोई चीज खड़ी की या बैठाई जाती है। पद-स्तल। ५. सभा सम्मेलन आदि का एक बार में और एक साथ होनेवाला कोई अधिवेशन। (सिटिंग) जैसे—आज सम्मेलन की दूसरी बैठक होती। ६. कुछ लोगों के आपस में प्रायः संग मिलकर बैठने की किया या भाव। बैठकी। ७. एक प्रकार की कसरत जिसमें बार-बार खड़ा होना और बैठना पड़ता है। बैठकी। क्रि० प्र०—लगाना। ८. किसी विशिष्ट उद्देश्य से किसी स्थान पर जाकर जब तक बैठने की क्रिया, जब तक वह काम पूरा न हो जाय। ९. काँच, धातु आदि का दीवट जिसके सिरे पर बत्ती जलती या मोमबत्ती खोंसी जाती है। बैठकी। १॰. दें० ‘बैठकी’। |
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समानार्थी शब्द-
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बैठका :
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पुं० [हिं० बैठक] १. वह चौपाल या दालान आदि जहाँ कोई बैठता हो और जहाँ जाकर लोग उससे मिलते या उसके पास बैठकर बातचीत करते हों। २. बैठक। |
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बैठकी :
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स्त्री० [हिं० बैठक+ई (प्रत्य०)] १. किसी स्थान पर प्रायः जाकर बैठने की क्रिया। जैसे–आज-कल वकील साहब के यहाँ उनकी बहुत बैठकी होती है। २. बार-बार बैठने और उठने की कसरत। बैठक। ३. बैठने का आसन। बैठक। ४. वेश्याओं का वह गाना जिसमें वे बैठकर गाती है, नाचती नहीं। ५. शीशे का वह झाड़ जो जमीन पर रखकर जलाया जाता है। (छत में लटकाये जानेवाले झाड़ से भिन्न) ६. वह नगीना जो किसी गहने में जड़कर बैठाया जाता है। (बेधकर पिरोये जानेवाले नगीने से भिन्न) जैसे—अँगूठी में जड़ा जाने-वाला मोती ‘बैठकी’ कहलाता है। वि० बैठने से सम्बन्ध रखनेवाला। जैसे—बैठकी हड़ताल। |
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बैठकी हड़ताल :
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स्त्री० [हिं०] हड़ताल का वह प्रकार या रूप जिसमें किसी कर्मशाला या कार्यालय में कर्मचारी लोग उपस्थित तो होते हैं, पर अपने अपने स्थान पर खाली बैठे रहते हैं, अपना काम नहीं करते। बैठ-हड़ताल। (सिट डाउन स्ट्राइक) |
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