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बहना  : अ० [सं० बहन] १. द्रव पदार्थ का धारा के रूप में किसी नीचे तल की ओर चलना या बढ़ना। प्रवाहित होना। जैसे—खून बहना, जल बहना। मुहावरा—बहती गंगा में हाथ धोना=किसी ऐसे अवसर या बात से जिससे और लोग भी लाभ उठा रहे हों, अनायास सहज में लाभ उठाना (कहीं-कहीं ऐसे अवसरों पर ‘हाथ धोना’ की जगह ‘पाँव पसारना’ का भी प्रयोग होता है)। २. उक्त प्रकार की धारा में पड़कर उसके साथ आगे चलना या बढ़ना। जैसे—नदी में नाव बहना। संयो० क्रि०—चलना। ३. किसी आधार या पात्र में पूरी तरह से भर जाने पर तरल पदार्थ का इधर-उधर चलना। जैसे—घोर वर्षा के कारण तालाब का बहना। ४. किसी घन पदार्थ का गलकर या अपना आधार छोड़कर द्रव रूप में किसी ओर चलना। जैसे—फोड़ा बहना, मोमबत्ती बहना। विशेष—इस अर्थ में इस शब्द का प्रयोग उस पदार्थ के लिए भी होता है जिसमें से वह निकलता है। जैसे—(क) फोड़ा बहना, और (ख) फोड़े में मवाद बहना। ५. अधिक मात्रा या मान में निरंतर किसी ओर गतिशील होना । जैसे—हवा बहना। ६. नियत या नियमित स्थान से हटकर दूर होना या दूसरे रास्ते पर चलना या जाना। जैसे—(क) पहनी हुई धोती या पाजामा बहना, अर्थात् नीचे खिसकना। (ख) गोल में से कबूतर बहना। (ग) हवा में पतंग बहना। ७. विशेष आवेग के कारण खूब खुलकर किसी ओर प्रवृत्त होना। उदाहरण—अपनौ चाँड़ सारि उन लीन्हौं तू काहे अब वृथा बहै री।—सूर। मुहावरा—बहकर=खूब खुलकर। मनमाने ढंग से या निस्संकोच होकर। उदाहरण—ताही सो रसाल बाल बहि कै बैराई है।—भारतेन्दु। ८. दुर्दशाग्रस्त होकर इधर-उधर घूमना। मारा-मारा फिरना। उदाहरण—कब लगि फिरिहौ दीन बह्रौ।—सूर। मुहावरा—बहा फिरना-किसी वस्तु की इतनी अधिकता होना कि उसका आदर घट जाय या विशेष मूल्य न रह जाय। जैसे—आज-कल बाजारों में अमरूद (या आम) बहे फिरते हैं। ९. व्यक्ति का आचरण-भ्रष्ट या कुमार्गी होना। सन्मार्ग से च्युत होना। जैसे—यह लड़का तो वह चला। १॰. पशुओं का गर्भस्राव होना। अड़ाना जैसे—गाय या भैंस का बहना। ११. पक्षियों का अधिक या प्रायः अंडे देना। जैसे—कबूतरी या मुर्गी का बहना। पद—बहता हुआ जोड़ा-ऐसे नर और मादा पशु-पक्षियों का जोड़ा जिससे साधारण से बहुत अधिक अंडे निकलते हों। १२. धन का व्यर्थ के कामों में या बहुत अधिक व्यय होना। जैसे—साल भर में उनके बीस बजार रूपये बह गये। १३. किसी चीज या बात का नष्ट, पतित या विकृत होना। उदाहरण—(क) सुक सनकादि सकल मन मोहे ध्यानिन ध्यान बह्रौ।—सूर। (ख) निज दिव्य जनपद की कहाँ चिर चेतना वह बह गई।—मैथिलीशरण। १४. आघात या प्रहार के लिए शश्त्र या हाथ का ऊपर उठना। उदाहरण—बहहिं न हाथ दहहि रिसि छाती।—तुलसी। स० १. अपने ऊपर भार ऱकना या लादना। ढोना। उदाहरण—बहि बहि मरहु पचहु निज स्वारथ जम को दंड सह्मो।—कबीर। २. पशुओं का कोई चीज खींचकर ले चलना। उदाहरण—श्वेत तुरंग बहै रथ काँही।—रघुराज। ३. अपने उत्तरदायित्व महत्त्व आदि का ध्यान रखकर किसी बात का निर्वाह या पालन करना। उदाहरण—मीराँ के प्रभु हरि अबिनासी, लाज बिरद की बहौ।—मीराँ। ४. कोई चीज अपने शरीर पर धारण करना। पहनना। जैसे—कवच या कुंडल बहना। स० [सं० वध] वध करना। मार डालना। वधना। स्त्री० [हिं० बहन] बहन का लिए सम्बोधनकारक रूप। जैसे—ना बहना ऐसा मत कहो। स० दे० बाहना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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बहनापा  : पुं० [हिं० बहना+आपा (प्रत्यय)] स्त्रियों का वह पारस्परिक सम्बन्ध जिसमें वे एक-दूसरे की बहन न होने पर ठीक बहनों का सा व्यवहार करती है। स्त्रियों मे बहनों की तरह का होनेवाला पारस्परिक सम्बन्ध। क्रि० प्र०—जोड़ना।—लगाना।
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बहनावा  : पुं०=बहनापा। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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