शब्द का अर्थ
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बग :
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पुं०=बगुला। स्त्री० हिं० बाग (लगाम) का संक्षिप्त रूप। जैसे—बगछुट, बगमेल। |
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समानार्थी शब्द-
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बग-मेल :
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पुं० [हिं० बाग+मेल] १. दूसरे घोड़े के साथ बाग मिलाकर चलना। एक पंक्ति में या बराबर-बराबर चलना। २. घुड़सवारों की पंक्ति या सतर। ३. यात्रा, युद्ध आदि में होनेवाला संग साथ। ४. बराबरी। समानता। क्रि० वि० १. घोड़ों के सवारों के संबंध में बाग मिलाये हुए और साथ-साथ। २. बराबर साथ रहते हुए। |
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बगई :
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स्त्री० [देश०] १. एक प्रकार की मक्खी जो कुत्तों पर बहुत बैठती हैं। कुकुरमाछी। २. पतली और लम्बी पत्तियोंवाली एक प्रकार की घास, जिससे डोरियाँ बटी जाती है। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बगछुट :
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वि० [हिं० बाग+छूटना] १. (घोड़ा) जिसकी बाग या लगाम छोड़ दी गयी हो इसलिए जो बहुत तेजी से दौड़ा जा रहा हो। अव्य० इस रूप में दौड़ना या भागना कि मानो कोई नियंत्रण न रह गया हो। बे-हताशा। सरपट। |
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बगज-चट्टी :
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स्त्री० [हिं० मगज+चाटना] बकवाद। बकबक। |
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बगटुट :
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वि० अव्य०=बगछुट। |
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बगड़ :
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पुं० [?] बाड़ा। घेरा। पुं०=बागड़। (राज० ) स्त्री०=बगल। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बगड़ा :
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पुं० [?] गौरैया (चिड़िया) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बगतर :
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पुं०=बकतर। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बगदना :
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अ० [सं० विकृत, हिं० बिगड़ना] १. बिगड़ना। खराब होना। २. रास्ता भूलकर कहीं से कहीं चले जाना। भटकना। ३. कर्त्तव्य सुमार्ग आदि से च्युत होना। |
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बगदर :
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पुं० [देश०] मच्छर। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बगदवाना :
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स० [हिं० बगदाना का प्रे० रूप०] किसी को बगदने में प्रवृत्त करना। |
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बगदहा :
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वि० [हिं० बगदना+हा(प्रत्यय)] [स्त्री० बगदही] १. बिगडऩेवाला। २. (पशु) जो गुस्से में आकर जल्दी बिगड़ खड़ा होता हो। ३. लड़नेवाला। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बगदाद :
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पुं० [फा० बग़दाद] इराक नामक राज्य की राजधानी। |
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बगदाना :
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स० [हिं० बगदना] १. नष्ट या बरबाद करना। २. भ्रम में डालकर भटकाना। ३. गिराना। लुढ़काना। ३. कर्त्तव्य, प्रतिज्ञा आदि से च्युत कराना। |
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बगना :
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अ० [सं० वल्गन] १. घूमना-फिरना। गमन करना। जाना। ३. दौड़ना। ४. भागना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बगनी :
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स्त्री० [?] एक प्रकार का टोंटीदार लोटा। स्त्री० बगई (घास)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बगबगाना :
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अ० [अनु०] ऊँट का काम-वासना से मत्त होना। |
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बगर :
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पुं० [सं० प्रघण, प्रा० पघम] १. महल। प्रासाद। २. घर। मकान। ३. कमरा। कोठरी। ४. आँगन। सहन। ५. गौए-भैसे आदि बाँधने का स्थान। स्त्री०=बगल। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बगरना :
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अ० [सं० विकिरण] फैलना। बिखरना। छितराना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बगरवाना :
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सं० [हिं० बगराना का प्रे० रूप०] किसी को कुछ बगराने अर्थात् बिखेरने में प्रवृत्त करना। |
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बगरा :
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पुं०=[देश] एक प्रकार की छोटी मछली जो जमीन पर उछलती हुई चलती है। इसे थुमा भी कहते हैं। |
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बगराना :
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स० [हिं० बगरना का स० रूप०] बिखेरना। छितराना। अ० बिखरना। |
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बगरिया :
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स्त्री० [देश] गुजरात, राज्य के कच्छ-काठियावाड़ आदि प्रदेशों में होनेवाली एक तरह की कपास। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बगरी :
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पुं० [हिं० बगर का स्त्री० रूप०] १. छोटा महल। २. मकान। बखरी। ३. गौएँ, भैसें आदि बाँधने का छोटा बाड़ा। पुं० [देश] एक प्रकार का धान। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बगल :
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स्त्री० [फा० बगल] १. बाहु-मूल के नीचे का गड्ढा। काँख। पद—बगल-गंध। (देखें)। मुहावरा—बगलें बजाना=बहुत प्रसन्नता प्रकट करना। खूब खुशी मनाना। विशेष—प्रायः लड़के बहुत प्रसन्न होने पर बगल में हथेली रखकर उसे जोर से बाँह से दबाते हैं जिससे विलक्षण शब्द होता है। उसी के आधार पर यह मुहावरा बना है। २. छाती के दोनों किनारों का वह भाग जो बाँह गिराने पर उसके नीचे पड़ता है। पार्श्व। पद—बगल-बंदी। (देखें)। मुहावरा—(किसी की) बगल गरम करना-सहवास या सम्भोग करना। बगल में दाबना या लेना-(क) कोई चीज उठाकर ले चलने के लिए उसे बगल में रखना तथा भुजा से अच्छी तरह दबाकर थामे रखना। जैसे—गठरी बगल में दबाकर चल पड़ना। (ख) अपने अधिकार में करना। उदाहरण—लै गै अनूप रूप सम्पत्ति बगल में दाबि उचिके अचान कुच कंचन पहार से।—देव। बगलें झाँकना-निरूतर या लज्जित होने पर यह समझने के लिए इधर-उधर देखना कि अब क्या करना या कहना चाहिए। ३. कपड़े का वह टुकड़ा जो अँगऱखे कुरते आदि की आस्तीन में बगल के नीचे पड़नेवाले अंश में लगाया जाता है। ४. वह जो किसी की दाहिनी या बायी ओर स्थित या प्रतिष्ठित हो। जैसे—(क) सभापति की बगल में अतिथि विराजमान थे। (ख) उनकी दुकान की बगल में पान की एक दुकान है। ५. समीप का स्थान। पास की जगह। पद—बगल में-(क) पास में। (ख) एकओर। जैसे—बगल में हो जाओ। |
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बगल-गंध :
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स्त्री० [हिं० बगल+गंध] १. बगल या काँख में होनेवाला एक प्रकार का फोड़ा। कँखवार। कँखौरी। २. एक प्रकार का रोग जिसमें बगल में काँख में से बहुत बदबूदार पसीना निकलता है। |
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बगलगीर :
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वि० [अं० बगल+फा० गीर०] [भाव० बगलगीरी] १. जोबगल या पास में स्थित हो। जिसे बगल में सटाकर बैठाया गया हो। पार्श्ववर्ती। २. जो गले मिला हो अथवा जिसे गले से लगाया गया हो। आलिंगित। मुहावरा—बगलगीर होना-आलिंगन करना। |
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बगलबंदी :
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स्त्री० [हिं० बगल+बंद] एक प्रकार की मिरजई जिसमें बगल में बन्द बाँधे जाते हैं। |
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बगला :
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पुं० [हिं० बक+ला (प्रत्यय)] [स्त्री० बगली] १. सारस की जाति का सफेद रंग का एक पक्षी जिसकी टाँगे, चोंच और गला लम्बा और पूँछ बहुत छोटी होती है। पद—बगला-भगत (देखें)। २. रहस्य सम्प्रदाय में, मन। पुं० [हिं० बगल] थाली की बाढ़। अँवठ। पुं० [देश] एक प्रकार का झाड़ीदार पौधा। |
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बगला-भगत :
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पुं० [हिं० ] वह जो देखने में बहुत धार्मिक तथा सीधा-सादा जान पड़ता हो, पर वास्तव में बहुत बड़ा कपटी या धूर्त हो। |
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बगलामुखी :
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स्त्री० [सं० ] तंत्र के अनुसार एक देवी। कहते हैं कि इसकी आराधना करने से शत्रु की वाणी कुंठित एवं शेष इंद्रियाँ स्तम्भित हो जाती हैं। |
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बगलियाना :
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अ० [हिं० बगल+इयाना (प्रत्यय)] बात-चीत या सामना न करते हुए बगल से होकर निकल जाना। कतारकर निकल जाना। स० १. बगल में करना या ले जाना। २. बगल में दबाना। ३. अलग करना या हटाना। |
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बगली :
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वि० [हिं० बगल+ई (प्रत्यय)] १. बगल से संबंध रखनेवाला। बगल का। पद—बगली घूँसा (देखें)। २. एक ओर का। स्त्री० १. ऊँटों का एक दोष जिसमें चलते समय उनकी जाँघ की रगपेट में लगती है। २. मुग्दर चलाने का एक ढंग। ३. वह थैली जिसमें दरजी सूई-तागा आदि रखते हैं। तिलेदानी। ४. दरवाजे की बगल में लगायी जानेवाली सेंध। क्रि० प्र०—काटना।—मारना। ५. अँगरखे की आस्तीन में लगाया जानेवाला कपड़े का वह टुकड़ा जो बगल के नीचे पड़ता है। बगल। स्त्री० [हिं० बगला] १. मादा बगुला। २. बगुले की जाति की एक छोटी चिड़िया जो ढीठ होने के कारण मनुष्यों के इतने पास आ जाती है कि लोग इसे ‘अंधी बगली’ भी कहते हैं। |
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बगली घूँसा :
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पुं० [हिं०] १. वह घूँसा जो किसी की बगल में अथवा किसी की बगल छिपकर किया जाय। २. वह वार जो आड़ में रहकर अथवा छिपकर किया जाय। ३. वह वार जो साथी बनकर या साथी होने का ढोंग रचकर किया जाय। ४. वह व्यक्ति जो धोखे से उक्त प्रकार का वार करता हो। |
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बगली टाँग :
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स्त्री० [हिं० बगली+टाँग] कुश्ती का एक पेंच। |
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बगली बाँह :
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स्त्री० [हिं० बगली+बाँह] एक प्रकार की कसरत जिसमें दो आदमी बराबर खड़े होकर अपनी बाँह से एक-दूसरे की बाँह में धक्का देते हैं। |
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बगलेंदी :
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स्त्री० [?] एक प्रकार की चिड़िया। |
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बगलौहाँ :
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वि० [हिं० बगल+औहाँ] [स्त्री० बगलौहीं] बगल की ओर झुका हुआ। तिरछा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बगसना :
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स०=बख्शना। उदाहरण—होइ कृपाल हस्तिनी संग बगसी रुचि सुन्दर।—चंदबरदाई। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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बगा :
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पुं० [सं० वक्र] बगुला। पुं०=बागा। (पहनने का)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बगाना :
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स० [हिं० बगना] घुमाना-फिराना। सैर कराना। स० [सं० विकीरण] फैलाना। बिखेरना। उदाहरण—टूटि तार अंगार बगावै।—नंददास। स०=भागना। अ०=भागना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बगार :
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पुं० [देश] गौओं के बाँधने का स्थान गो-शाला। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बगारना :
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स० [सं० विकीरण, हिं० बगरना] १. फैलाना। २. छितराना। बिखेरना। स० -बगराना। उदाहरण—सब देसनि में निज प्रभात निज प्रकृति बगारति—रत्नाकर। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बगावत :
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स्त्री० [अ० बगावत] १. आज्ञा, आदेश आदि की की जानेवाली स्पष्ट अवज्ञा। २. विद्रोह। सैनिक विद्रोह अथवा युद्धात्मक भावना से युक्त विद्रोह। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बगितारा :
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पुं० [सं० वक्तृ] १. जोर से की जानेवाली पुकार। २. बकबक। बकवाद। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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बगिया :
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स्त्री० [हिं० बाग+इया] छोटा बाग विशेषतः फूल वारी। |
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बगीचा :
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पुं० [फा० बागचः] [स्त्री० अल्पा० बगीची] १. छोटा बाग। २. फुलवारी। |
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बगुरदा :
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पुं० [?] पुरानी चाल का एक अस्त्र। |
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समानार्थी शब्द-
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बगुलपतोख :
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पुं० [हिं० बगला+पतोख] एक प्रकार का जल-पक्षी। |
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समानार्थी शब्द-
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बगुला :
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पुं० १.=बगला। २.=बगूला। |
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समानार्थी शब्द-
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बगुली :
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स्त्री०=बगली। (चिड़िया)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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बगूरा :
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पुं०=बगूला। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बगूला :
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पुं० [हिं० बाउ (वायु)+गोला] तेज हवा की वह अवस्था जिसमें वह घेरा बाँधकर चक्कर लगाती हुई तथा ऊपर उठती हुई आगे बढती है। चक्रवात। बवंडर। |
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समानार्थी शब्द-
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बगेड़ी :
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स्त्री०=बगेरी (चिड़िया)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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बगेदना :
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स० [हिं० बगदना] १. धक्का देकर गिरा या हटा देना। २. विचलित करना। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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बगेरी :
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स्त्री० [देश] खाकी रंग की एक प्रकार की छोटी चिड़िया। बगौधा। भरुही। |
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बगैचा :
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पुं०=बगीचा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बगैर :
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अव्य० [अ० बगैर] न होने की दशा मे। बिना। जैसे—आपके बगैर काम नहीं चलेगा। |
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बगौधा :
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पुं० [देश] [स्त्री० बगौधी] बगेरी (चिड़िया)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बग्गा-गोटी :
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स्त्री० [?] लड़कों का एक प्रकार का खेल। उदाहरण—तीनों बग्गा गोटी खेला करेंगे।—वृन्दावनलाल वर्मा। |
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बग्गी :
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स्त्री०=बग्घी। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बग्घी :
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स्त्री० [अं० बोगी] चार पहियों की पाटनदार गाड़ी जिसे एक या दो घोड़े खींचते हैं। |
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