शब्द का अर्थ
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निष्ठा :
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स्त्री० [सं० नि√स्था+अङ+टाप्] १. अवस्था। दशा। स्थिति। २. आधार। नींव। ३. दृढ़तापूर्वक टिके या ठहरे रहने की अवस्था या भाव। ४. मन में होनेवाला दृढ़ निश्चय या विश्वास। ५. किसी बात, या व्यक्ति के संबंध में होनेवाली वह भावुकतापूर्ण मनोवृत्ति जो हमारी आंतरिक पूज्य, बुद्धि, विश्वास, श्रद्धा आदि से उत्पन्न होती है और जो हमें उस (बात विषय या व्यक्ति) के प्रति विशिष्ट रूप से आसक्त, प्रवृत्त तथा संलग्न रखती है। किसी के प्रति होनेवाली मन की ऐसी एकांत अनुरक्ति या प्रवृत्ति जो बहुत-कुछ भक्ति की सीमा तक पहुँचती हुई होती है। जैसे–अपने कर्त्तव्य, गुरु, धर्म या नेता के प्रति होनेवाली निष्ठा। ६. धार्मिक क्षेत्र में ज्ञान, की वह अन्तिम या चरम अवस्था जिसमें आत्मा पूर्ण रूप से ब्रह्म में लीन हो जाती है। ७. विष्णु जिनमें प्रलय के समय समस्त भूतों का विलय हो जाता है। ८. किसी चीज या बात का नियत समय पर होनेवाला अंत या समाप्ति। ९. विनाश। १॰. दक्षता। प्रवीणता। ११. विपत्ति। संकट। |
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निष्ठांत :
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वि० [सं० निष्ठा (नाश)+अन्त, ब० स०] नश्वर। |
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निष्ठान :
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पुं०[सं०नि√स्था+ल्युट्–अन्] चटनी आदि चटपटी चीजें। |
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निष्ठानक :
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पुं०[सं०निष्ठान+कन्]=निष्ठान। |
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निष्ठावान् (वत्) :
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वि० [सं० निष्ठा+मतुप्] जिसकी किसी के प्रति निष्ठा हो। निष्ठा रखनेवाला। |
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