शब्द का अर्थ
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तुष :
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पुं० [सं०√तुष+क] १. अन्न-कण के ऊपर का छिलका। भूसी। २. अंडे के ऊपर का छिलका। ३. बहेड़ें का पेड़। |
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समानार्थी शब्द-
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तुष-धान्य :
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पुं० [सं० मध्य० स] ऐसा अन्न जिसके दानों के ऊपर छिलका रहता हो। |
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तुषग्रह :
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पुं० [सं० तुष√ग्रह (पकड़ना)+अप्] अग्नि। आग। |
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तुषसार :
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पुं० [सं० तुष√स् (जाना)+अण्] अग्नि। आग। |
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तुषाग्नि :
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स्त्री० [सं० तुष-अग्नि, ष० त०] तुषानल। (दे०) |
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तुषानल :
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पुं० [सं० तुष-अनल, ष० त०] १. भूसी की आग। घास-फूस की आग। करसी की आँच। २. उक्त प्रकार की वह आग जिसमें प्रायश्चित करने के लिए लोग जल मरते थे। |
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तुषांबु :
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पुं० [सं० तुष-अंबु, ष० त०] एक तरह का काँजी (वैद्यक) वि० दे० ‘तुषोदक’। |
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तुषार :
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पुं० [सं०√तुष् (प्रसन्न होना)+आरन्] १. हवा में उड़नेवाले वे जलकण जो जम जाने के फलस्वरूप जमीन पर गिर पड़ते हैं। पाला। २. लाक्षणिक रूप में, ऐसी बात जो किसी चीज को नष्ट कर दे। ३. बरफ। हिम। ४. एक प्रकार का कपूर। चीनिया कपूर। ५. हिमालय के उत्तर का एक प्राचीन प्रदेश जहाँ के घोड़े प्रसिद्ध थे। ६. उक्त प्रदेश में रहनेवाली एक जाति। वि० बरफ की तरह ठंढा। |
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तुषार-कर :
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पुं० [सं० ब० स०] हिमकर। चंद्रमा। |
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तुषार-गौर :
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पुं० [सं० उपमि० स०] कपूर। |
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तुषार-पाषाण :
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पुं० [ष० त०] १. ओला। २. बरफ। हिम। |
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तुषार-मूर्ति :
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पुं० [ब० स०] चंद्रमा। |
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तुषार-रश्मि :
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पुं० [ब० स०] चंद्रमा। |
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तुषार-रेखा :
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स्त्री० [ष० त०] पर्वतों पर की वह कल्पित रेखा जिससे ऊपरवाले भाग पर बरफ जमा रहता है। (स्नो लाइन)। |
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तुषारर्तु :
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स्त्री० [तुषार-ऋतु, ष० त०] जाड़े का मौसम। शीतकाल। |
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तुषाराद्रि :
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पुं० [तुषार-अद्रि, ष० त०] हिमालय पर्वत। |
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तुषारांशु :
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पुं० [तुषार-अंशु, ब० स०] चंद्रमा। |
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तुषाहा :
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स्त्री० [सं० तृषा√हन् (मारना)+ड-टाप्] सौंफ। |
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तुषित :
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पुं० [सं०√तुष् (प्रसन्न होना)+कितच् (बा०)] १. एक प्रकार के गण देवता जो संख्या में १२ हैं। २. विष्णु। ३. बौद्धों के अनुसार एक स्वर्ग। |
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तुषोत्थ :
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पुं० [सं० तुष-उद√स्ता (उठना)+क] तुषोदक। (दे०)। |
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तुषोदक :
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पुं० [तुष-उदक,ष०त] १.छिछले समेत कूटे हुए जौ को पानी में सड़ाकर बनाई हुई काँजी, जो वैद्यक में अग्नि की दीप्त करनेवाली मानी गई है। २.भूसी को सड़ाकर तैयार किया हुआ खट्टा जल। |
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तुष्ट :
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भू० कृ-[सं०√तुष्+क्त] [भाव० तुष्टता] १. जिसका तोष या तृप्ति हो चुकी हो या कर दी गई हो। तृप्त। २. जो अपना अभीष्ट सिद्ध होने के कारण प्रसन्न हो गया हो। |
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तुष्टता :
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स्त्री० [सं० तुष्ट+तल्-टाप्] १. तुष्ट होने की अवस्था या भाव। २. संतोष। प्रसन्नता। |
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तुष्टना :
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अ० [सं० तुष्ट] तुष्ट होना। स० तुष्ट करना। |
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तुष्टि :
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स्त्री० [सं०√तुष्+क्तिन्] १. तुष्ट होने की अवस्था या भाव। २. प्रसन्नता। ३. कंस का एक भाई। |
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तुष्टीकरण :
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पुं० [सं० तुष्टि+च्वि, इत्व दीर्घ√कृ(करना)+ल्युट-अन] किसी को तुष्ट या प्रसन्न करने की क्रिया या भाव। (एपीजमेंट)। |
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