शब्द का अर्थ
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तुलसी :
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स्त्री० [सं० तुला√सो (नष्ट करना)+क-ङीष्, पररूप] १. एक प्रसिद्ध पौधा जो बहुत पवित्र माना गया है और जिसकी पत्तियों में तीक्ष्ण गंध होती है। यह काली और धौली दो प्रकार की होती है। २. उक्त पौधे की पत्ती जो अनेक प्रकार के रोगों की नाशक तथा कफ और पित्त तथा अग्नि प्रदीपक, हृदय को हितकारी पित्त को बढ़ानेवाली मानी जाती है। ३. उक्त के बीज जो ढांस को कम करने तथा शुक्र को गाढ़ा करते हैं। पुं० गोस्वामी तुलसीदास (हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि)। |
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तुलसी दल :
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पुं० [ष० त०] तुलसी के पौधे का पत्ता। तुलसी पत्र। |
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तुलसी पत्र :
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पुं० [ष० त०] तुलसी का पत्ता। |
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तुलसी-द्वैष :
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स्त्री० [सं० तुलसी√द्विष (द्वेष करना)+अण्–टाप्] बन–तुलसी। बर्बरी। ममरी। |
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तुलसी-वन :
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पुं० [ष० त०] १. वह स्थान जहाँ पर तुलसी के बहुत अधिक पौधे हों। तुलसी का जंगल। २. वृंदावन। |
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तुलसी। :
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तुलसीघरा :
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पुं० [सं० तुलसी+हिं० घर] आँगन के मध्य का वह स्थान जहाँ कुछ हिदू घरों में तुलसी के पौधे लगे होते हैं। |
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तुलसीदाना :
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पुं० [हिं० तुलसी+फा० दाना] एक तरह का आभूषण। |
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तुलसीबास :
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पुं० [हिं० तुलसी+बास-महक] एक तरह का अगहनी धान जिसकी चावल सुंगधित होता है। |
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