शब्द का अर्थ
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झंप :
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पुं० [सं० झम√पत् (गिरना)+ड] १. उछलने की क्रिया या भाव। उछाल। २. कूदने की क्रिया या भाव। कुदान। क्रि० प्र०–देना।–मारना। ३. बहुत शीघ्रता से होनेवाली उन्नति या वृद्धि। पुं०=झांप। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
झँपकना :
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अ० १.=झपकना। २.=झँपना। |
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झँपकी :
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स्त्री०=झपकी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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झँपताल :
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पुं०=झपताल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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झँपना :
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अ० [सं० झंप] १. उछलना। २. कूदना। ३. झपटना। ४. एकदम से आ पहुँचना। टूट पड़ना। ५. झेंपना। ६. पलकों का गिरना या बंद होना। ७.आड़ में होना। छिपना। ८. सो जाना। उदाहरण–वृक्ष मानों व्यर्थ बाट निहार। झँप उठे हैं झीम, झुक थक, हार।–मैथिलीशरण। स० १. आड़ में करना। छिपाना। २. ढकना। ३. बन्द करना। मूँदना। |
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झँपरिया :
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स्त्री=झँपरी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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झँपरी :
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स्त्री० [हिं० झापना=ढकना] वह कपड़ा जो डोली या पालकी के ऊपर डाला जाता है। ओहार। |
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झंपा :
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पुं० १. दे० झब्बा। २. दे० बाल (अनाज की)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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झंपाक :
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पुं० [सं० झंप√अक् (जाना)+अण्] [स्त्री० झंपाकी] बंदर। |
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झँपान :
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पुं० [सं० झप] पहाड़ों पर सवारी के काम आनेवाली एक प्रकार की खटोली। |
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झंपारु :
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पुं० [सं० झंप-आ√ रा(लेना)+डु] बंदर। |
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झंपित :
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भू० कृ० [सं० झंप] १. ढका हुआ। २. छिपा हुआ। |
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झँपिया :
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स्त्री० [हिं० झाँपा] छोटा झाँपा। |
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झंपी(पिन्) :
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पुं० [सं० झप+इनि] बंदर। |
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झँपोला :
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पुं० [हिं० झाँपा+ओला (प्रत्यय)] [स्त्री० अल्पा० झँपोली या झँपोलिया] १. छोटा झाँपा। २. पिटारा। |
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