शब्द का अर्थ
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जाह :
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पुं० [फा०] १. पद। पदवी। २. वैभव। ३. गौरव। मर्यादा। |
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समानार्थी शब्द-
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जाहक :
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पुं० [सं०√दह् (चमकना)+ण्वुल्-अक, पृषो, सिद्धि] १.गिरगिट। २. जोंक। ३. घोंघा। ४. बिस्तर। बिछौना। |
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जाहर-पीर :
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पुं० [फा० जहर+पीर] १४ वीं शताब्दी के पंजाब के एक प्रसिद्ध संत जो विषवैद्य भी थे। पंजाब तथा मारवाड़ में अब भी नागपंचमी के दिन इनकी धूमधाम से पूजा की जाती है। |
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जाहि :
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स्त्री० [सं० जाति] मालती नामक लता और उसका फूल। |
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जाहिद :
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पुं० [अ.] ऐसा व्यक्ति जो सांसारिक प्रपंचों,बखेड़ों,बुराइयों आदि से दूर रहकर ईश्वर का ध्यान करता हो। |
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जाहिर :
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वि० [अ०] जो स्पष्ट रूप से सबके सामने हो। २. प्रकट। ज्ञात। विदित। |
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जाहिरदारी :
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स्त्री० [अ०] केवल ऊपर से दिखाने के लिए (शुद्ध हृदय से नहीं) किया जानेवाला सदव्यवहार। दिखौआ। शिष्टाचार। |
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जाहिरा :
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क्रि.वि० [अ०] ऊपर से देखने पर। वि० ऊपर या बाहर से दिखाई देनेवाला। |
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जाहिरी :
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वि० [अ०] १. जो जाहिर हो। २. ऊपर या बाहर से दिखाई देनेवाला। ३. ऊपरी। दिखौआ। बनावटी। |
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जाहिल :
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स्त्री० [अ०] जाहिल होने की अवस्था या भाव। मूर्खता। |
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जाही :
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स्त्री० [सं० जाती] १. चमेली की जाति का एक पौधा। २. उक्त पौधे के छोटे सुगंधित फूल। ३. एक प्रकार की आतिशबाजी जिसमें से उक्त प्रकार के फूल छूटते हैं। |
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जाहूत :
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पुं० [अ० लाहूत का अनु०] ऊपर से नौ लोकों में से अंतिम या नवाँ लोक। (मुसल०)। |
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जाह्ववी :
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स्त्री० [सं० जह्व+अण्-ङीष्] जह्व ऋषि की पुत्री। गंगा। |
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