शब्द का अर्थ
|
जहाँ :
|
अव्य० [सं० यत्र पा० यत्थ, प्रा० जह] जिस स्थान पर। जिस जगह। जैसे–जहाँ गये वहीं के हो गये। पद–जहाँ का तहाँ=जिस स्थान पर कोई चीज है या थी उसी स्थान पर। जैसे–गिलास जहाँ का तहाँ रख देना। जहाँ-तहाँ-इधर-उधर। किस जगह। जैसे–उनके दूत जहाँ-तहाँ फैले हुए थे। पुं० [फा० जहान] लोक। संसार। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जहाँगीर :
|
वि० [फा०] [भाव० जहाँगीरी] संसार को अपने अधिकार में रखनेवाला। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जहाँगीरी :
|
स्त्री० [फा०] हथेली के पिछले भाग पर पहना जानेवाला एक गहना जिसके आगे पाँचों उँगलियों में पहनने के लिए पाँच अँगूठियाँ लगी रहती है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जहाँदीद (ा) :
|
वि० [फा०] जिसने संसार को देखा परखा हो। अनुभवी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जहाँपनाह :
|
वि० [फा०] संसार की रक्षा करनेवाला। पुं० १. ईश्वर। २. राजा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |