शब्द का अर्थ
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चौड़ :
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पुं० [सं० चूड़ा+अण्] चूड़ाकरण संस्कार। वि० चौपट।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
चौड़-कर्म(न्) :
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पुं० [कर्म० स०] चूड़ाकर्म। मुंडन। |
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चौड़ा :
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वि. [सं० चृद् (?) चतर(चडर>>]चडड); दे० प्रा० चाऊड, बं० उ० पं० चौड़ा, गुं० चोड़ूँ, मरा० चौडे] [स्त्री० चौड़ी, भाव.चौड़ाई] १.जिसके दोनों पार्श्वों के बीच में अधिक विस्तार हो। लंबाई के बल में नहीं, बल्कि उसके विपरीत बल में अधिक विस्तृत। जैसे–चौड़ी नहर। २. जो सँकरा न हो बल्कि खुलता हो। जैसे–चौड़ी गली। पुं० [सं० चुरा] अनाज रखने का गड्ढा। |
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चौड़ाई :
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स्त्री० [हिं० चौड़ा+ई(प्रत्य)] १.चौड़े होने की अवस्था या भाव। २. वह मान जिससे यह पता चलता हो कि कोई वस्तु कितनी चौ़ड़ी है। जैसे–कपड़े की चौड़ाई दो गज है। |
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चौड़ान :
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स्त्री० [हिं० चौड़ा+आन (प्रत्य)] चौड़ाई (दे०)। |
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चौड़ाना :
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स० [हिं० चौड़ा] १. चौड़ा करना। फैलाना। २. व्यर्थ का विस्तार करना। जैसे–बात दौड़ाना। अ० चौड़ा होना। उदाहरण–नद चौड़ात चले आगैं नित आवैं।–रत्नाकर। |
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चौड़ाव :
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पुं०=चौड़ाई। (दे०) |
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चौड़े :
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क्रि० वि० [हिं० चौड़ा] खुले आम। सब के सामने। उदाहरण–कोई कहै छाने कोई कहै चौड़े लियोरी बजंता ढोल।–मीराँ। |
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