शब्द का अर्थ
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चाक्र :
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पुं० [तु०] तरकारी, फल आदि चीजें काटने, छीलने आदि के काम आनेवाला लोहे का धारदार एक प्रसिद्ध छोटा उपकरण जो लकड़ी आदि के दस्ते में जड़ा होता है। छुरी। |
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चाक्रः :
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वि० [सं० चक्र+अण्] १. चक्र या पहिये से संबंध रखनेवाला। २. जिसकी आकृति चक्र या पहिये जैसी हो। ३. जो चक्रों या पहियों की सहायता से चलता हो। ४. (युद्ध) जो चक्रों की सहायता से हो। |
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चाक्रायण :
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पुं० [सं० चक्र+फञ्-आयन] चक्र नामक ऋषि के वंशधर। |
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चाक्रिक :
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पुं० [सं० चक्र+ठक्–इक] १. दूसरों की स्तुति गानेवाला। चारण। भाट। २. वह जो किसी प्रकार का चक्र चलाकर जीविका निर्वाह करता हो। जैसे–कुम्हार, गाड़ीवान, तेली आदि। ३. सहचर। साथी। वि० १. चक्र के आकार का। गोलाकार। २. चक्र संबंधी। ३. किसी चक्र या मंडली में रहने या होनेवाला। |
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चाक्रिका :
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स्त्री० [सं० चाक्रिक+टाप्] एक प्रकार का पौधा और उसका फूल। |
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चाक्रेय :
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वि० [सं० चक्र+ढञ्-एय] चक्र-संबंधी। चक्र का। |
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