शब्द का अर्थ
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चकर :
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पुं० [सं० चक्र] चक्रवाक पक्षी। चकवा। पुं० चक्कर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
चकर-मकर :
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पुं० [सं० चक्र+फा० मकर] छल-कपट की बात। धोखेबाजी। |
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चकरबा :
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पुं० [सं० चक्रव्यूह] १. ऐसी स्थिति जिसमें यह न सूझे कि क्या करना चाहिए। असमंजस की ओर विकट अवस्था। २. व्यर्थ का झगड़ा या बखेड़ा। |
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चकरसी :
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पुं० [देश०] एक प्रकार का बहुत बड़ा पेड़ जो बंगाल और आसाम में होता है। इसके हीर की चमकीली और मजबूत लकड़ी मेज कुरसी आदि सामान बनाने के काम में आती है। |
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चकरा :
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पुं० [हिं० चक्कर] पानी का भँवर। वि० [स्त्री०चकरी] चारों ओर घूमने या चक्कर खानेवाला। वि० [सं० चकरी] चौड़ा। विस्तृत।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=चकला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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चकराना :
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अ० [सं० चक्र] १. सिर का चक्कर खाना। सिर घूमना। २. किसी प्रकार के चक्कर या फेर में पड़ना। ३. चारों ओर या इधर-उधर घूमना। भ्रांत होना। भटकना। ४. चकित होना। स० १. चक्कर देना या खिलाना। २. किसी को चक्कर या फेर में डालना। चकित या स्तंभित करना। |
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चकरानी :
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स्त्री० [फा० चाकर का स्त्री०]=चाकरानी (दासी)। |
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चकरिया :
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वि० [फा० चाकरी+हा (प्रत्यय)] नौकरी-चाकरी करनेवाला। पुं० टहलुआ। सेवक। |
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चकरिहा :
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वि०=चकरिया। |
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चकरी :
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स्त्री० [सं० चक्री](यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) १. चक्की। २. चक्की का पाट। ३. चक्की के पाट की तरह की कोई गोलाकार चिपटी चीज। ४. लड़कों के खेलने का चकई नाम का खिलौना। ५. चारों ओर भटकानेवाला चक्कर या फेर। भ्रांति। उदाहरण–यह तौ सूर तिन्हैं लै सौपौं जिनके मन चकरी।-सूर। |
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चकरी-गिरह :
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स्त्री० [जहाजी] अर्गल में लगी हुई रस्सी की गाँठ जो उसे रोके रहती है।(लश०) |
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