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घड़ी :
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स्त्री० [सं० घटी] १. काल का एक प्राचीन मान जो दिन-रात का ३२ वाँ भाग और ६॰ पलों का होता है। आज-कल के हिसाब से यह २४ मिनट का समय होता है। पद-घड़ी-घड़ी=रह-रहकर थोड़ी देर पर। बार-बार। घड़ी पहर=थोड़ी देर। उदाहरण–घड़ी पहर बिलबौरे भाई जरता है।–कबीर। मुहावरा–घड़ी या घडियां गिनना= (क) बहुत उत्सुकतापूर्वक और समय पर ध्यान रखते हुए किसी बात की प्रतीक्षा करना। (ख) मरने के निकट होना। (किसी का) घड़ी सायत पर होना=ऐसी स्थिति में होना कि थोड़ी देर में प्राण निकल जायँगे। मरणासन्न अवस्था। २. किसी काम या बात के घटित होने का अवसर या समय। जैसे–जब इस काम की घड़ी आवेगी तब यह आप ही हो जायगा। मुहावरा–घड़ी देना=ज्योतिषी का मुर्हुत या सायत बतलाना। ३. आज-कल, वह प्रसिद्ध छोटा या बड़ा यंत्र जो नियमित रूप से घंटा, मिनट आदि अर्थात् समय का ठीक मान बतलाता है। यह यंत्र कई प्रकार का होता है। जैसे–जेब घड़ी, दीवार, घडी, धूप घड़ी आदि। ४. पानी रखने का छोटा घड़ा। पद-घड़ी-दीया (देखें)। स्त्री० [हिं० घड़ना] कपड़ों आदि की लगाई जानेवाली तह। |
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समानार्थी शब्द-
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घड़ी-दीया :
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पुं० [हिं० घड़ी+दीया=दीपक] हिन्दुओँ में, कर्मकांड का एक कृत्य जो किसी के मरने पर १॰, १२, या १३. दिनों तक चलता है। इसमें एक छेददार घड़े में जल भरकर उसे चूने या टपकने के लिए कहीं रख दिया जाता है और उसके पास एक दीया रखा जाता है जो रात-दिन जलता रहता है। |
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समानार्थी शब्द-
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घड़ीसाज :
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पुं० [हिं० घड़ी+फा० साज] घड़ियों की मरम्मत करनेवाला कारीगर। |
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घड़ीसाजी :
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स्त्री० [हिं० घड़ी+फा० साजी] घड़ी (यंत्र) की मरम्मत करने का काम। |
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समानार्थी शब्द-
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