| शब्द का अर्थ | 
					
				| काब					 : | स्त्री० [तु०] छोटी थाली। रिकाबी। | 
			
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				| काबर					 : | स्त्री० [हिं० कबरा] एक प्रकार की भूमि जिसकी मिट्टी में रेत भी मिली रहती है। दोमट। खाभर। वि०=चित-कबरा। | 
			
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				| काबला					 : | पुं० [अं० केबिल=रस्सा] वह बड़ा पेच जिसके ऊपर ढेबरी या बालटू कसा जाता है। (लश०) | 
			
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				| काबा					 : | पुं० [अ० कअबः] मक्के (सरूदी अरब में, मक्का नामक नगर) की वह प्रसिद्ध मसजिद जहाँ सारे संसार के मुसलमान दर्शन और परिक्रमा करने के लिए जाते है। (इसी स्थान की यात्रा करना हज करना कहलाता है)। | 
			
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				| काबि					 : | स्त्री०=कविता। पुं० =काव्य।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| काबिज					 : | वि० [अ०] १. जिसने किसी वस्तु पर कब्जा या अधिकार कर लिया हो। अधिकार जमानेवाला। २. किसी की जमीन या मकान में रहकर उसका उपभोग करनेवाला (आँकुपेंट) ३. पेट के मल का अवरोध या कब्जियत करनेवाला। (औषध या खाद्य पदार्थ) | 
			
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				| काबिल					 : | वि० [अ०] [भावकाबिलियत] १. योग्य। २. (व्यक्ति) जो किसी विषय का अच्छा ज्ञाता या विशेषज्ञ हो। विद्वान। पढ़ा-लिखा तथा सुयोग्य (व्यक्ति)। | 
			
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				| काबिलीयत					 : | स्त्री० [अ०] १. योग्यता। २. लियाकत। ३. पांडित्य। विद्वता। | 
			
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				| काबिस					 : | पुं० [सं० कपिश] १. लाल रंग की एक प्रकार की मिट्टी। २. उक्त मिट्टी से बना हुआ रंग जिससे कुम्हार मिट्टी के बरतन रँगते हैं। | 
			
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				| काबुक					 : | स्त्री० [फा०] पक्षियों,विशेषतः कबूतरों के रहने का खाना या दरबा। | 
			
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				| काबुल					 : | पुं० [सं० कुभा] [वि० काबुली] १. अफगानिस्तान की एक नदी जो अटक के पास सिंधु नदी में गिरती है। २. उक्त नदी पर स्थित एक नगर जो अफगानिस्तान की राजधानी है। | 
			
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				| काबुली					 : | वि० [हिं०काबुल] १. काबुल का। काबुल संबंधी। जैसे—काबुली पहनावा। काबुली बोली। २. काबुल में उत्पन्न होने या वहाँ से आनेवाला। जैसे—काबुली मेवे। पुं० काबुल अथवा अफगानिस्तान का निवासी। स्त्री०काबुल अथवा अफगानिस्तान की बोली या भाषा। | 
			
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				| काबुली बबूल					 : | पुं० [हिं०काबुली+बबूल] बबूल के वृक्षों की एक जाति। | 
			
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				| काबुली मस्तगी					 : | स्त्री० [फा०] एक वृक्ष का गोंद जो गुण,रूप आदि में रूमी मस्तगी के समान होता है। | 
			
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				| काबू					 : | पुं० [तु०] १. अधिकार। वश। जैसे—यह बात हमारे काबू की नहीं है। उदाहरण— जब तक करूँ बाबू बाबू। तब तक करूँ अपने काबू।—कहा०। २. जोर। बल। जैसे—उन पर हमारा कोई काबू नहीं है। ३. काम निकालने का अच्छा और अनुकूल अवसर। दाँव। मुहावरा—(किसी के) काबू पर चढ़ना=ऐसी विवशता की स्थिति में होना कि कुछ भी जोर या वश न चल सके। जैसे—जिस दिन तुम उनके काबू पर चढ़ोगे, उस दिन वे तुम से पूरा बदला चुका लेगें। | 
			
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