शब्द का अर्थ
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काज :
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पुं० [सं० कार्य, प्रा० कज्ज] १. वह जो कुछ किया जाय। काम। कार्य। मुहावरा—किसी के काज घटना=काम आना। उदाहरण—सब विधि घटब काज मैं तोरे।—तुलसी। काज सँवारना=किसी के बिगड़े हुए या अधूरे काम को ठीक प्रकार से संपादित करना। २. कोई मंगल या शुभ कार्य। ३. व्यवसाय। व्यापार। ४. प्रयोजन। हेतु। पुं० [पुर्त्त कासा] सिले हुए कपड़ों में बनाये जानेवाले वे छेद जिनमें बटन आदि फँसाये या लगाये जाते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
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काजर :
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पुं० =काजल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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काजररानी :
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पुं० [देश] अगहन में होनेवाला एक प्रकार का धान। उदाहरण—रामभोग औ काजररानी।—जायसी। |
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काजरी :
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स्त्री०=कजरी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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काजल :
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पुं० [सं० पा० प्रा० कज्जलम्, उ० पं० कज्जल, गु० मरा० काजल, ने० गाजल, बं० काजल] आँखो में लगाने का काले रंग का वह प्रसिद्ध पदार्थ जो तेल, घी, आदि में जलने से होनेवाले धुँए को जमाकर तैयार किया जाता है। विशेष—यह प्रायः आँखों का सौंदर्य बढ़ाने अथवा आँख का कोई साधारण रोग दूर करने के लिए लगाया जाता है। क्रि०प्र-डालना।—लगाना। मुहावरा—आँखों में काजल घुलाना=अच्छी तरह और बहुत काजल लगाना। काजल पारना=दीपक के धूँए की कालिख को काजल के रूप में जमाकर इकट्ठा करना। काजल सारना=आँखों में काजल लगाना। पद—काजल का तिल=काजल की वह छोटी बिंदी जो स्त्रियाँ शोभा के लिए गाल, चिबुक आदि पर लगाती हैं। काजल की ओबरी या कोठरी=ऐसा दूषित या बुरा स्थान जहाँ जाने पर कलंक लगना अवश्यंभावी हो। उदाहरण—काजल की कोठरी में कैसहू सयानो जाय, काजर की रेख एक लागिहै पै लागिहै। |
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काजी :
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पुं० [अ०] वह व्यक्ति या अधिकारी जो मुसलमानी धर्म के अनुसार धर्म-अधर्म संबंधी विवादों का निर्णय करता हो। |
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काजू :
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पुं० [कोंक काज्जु] १. एक वृक्ष जिसके फलों की गिनती सूखे मेवों में होती है। २. उक्त वृक्ष का फल जो बादाम की तरह परन्तु सफेग रंग का होता है। |
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काजू-भोजू :
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वि० [हिं० काज+भोग] ऐसी कमजोर या साधारण चीज जिससे बहुत ही कम समय तक और साधारण काम लिया जा सके। टिकाऊ का विपर्याय। |
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काजै :
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अव्य० [सं० कार्य्य] लिए। वास्ते। (ब्रज०)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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