शब्द का अर्थ
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ओह :
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अव्य० [सं० अहह का अनु] आश्चर्य, कष्ट, दुःख, पश्चाताप संताप आदि का सूचक एक अव्यय। जैसे—ओह ! इतना अनर्थ !। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओह :
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अव्य० [सं० अहह का अनु] आश्चर्य, कष्ट, दुःख, पश्चाताप संताप आदि का सूचक एक अव्यय। जैसे—ओह ! इतना अनर्थ !। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहट :
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स्त्री०=ओट।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहट :
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स्त्री०=ओट।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहदा :
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पुं० [अ० उलदः] किसी विभाग के किसी कर्मचारी या कार्यकर्त्ता का पद, विशेषतः कुछ ऊँचा पद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहदा :
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पुं० [अ० उलदः] किसी विभाग के किसी कर्मचारी या कार्यकर्त्ता का पद, विशेषतः कुछ ऊँचा पद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहदेदार :
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पुं० [फा०] वह जो किसी ओहदे या पद पर नियुक्त हो। पदाधिकारी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहदेदार :
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पुं० [फा०] वह जो किसी ओहदे या पद पर नियुक्त हो। पदाधिकारी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहना :
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स० [सं० अवधारण] डंठलों को हिलाते हुए उनके दाने नीचे गिराना। खरही करना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहना :
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स० [सं० अवधारण] डंठलों को हिलाते हुए उनके दाने नीचे गिराना। खरही करना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहर :
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क्रि० वि०=उधर (पूरब)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहर :
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क्रि० वि०=उधर (पूरब)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहरना :
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अ० [सं० अवहरण] बढ़ती या उमड़ती हुई चीज का उतार पर होना या घटना। कमी या घटाव पर होना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहरना :
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अ० [सं० अवहरण] बढ़ती या उमड़ती हुई चीज का उतार पर होना या घटना। कमी या घटाव पर होना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहरी :
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स्त्री० [हिं०हारना=थकना] थकावट।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहरी :
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स्त्री० [हिं०हारना=थकना] थकावट।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहा :
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पुं० [सं० ऊधस्] गाय का थन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहा :
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पुं० [सं० ऊधस्] गाय का थन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहार :
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पुं० [सं० अवधार] वह कपड़ा जिससे पालकी, रथ आदि ढके जाते हैं। उदाहरण—सिविका सुभग ओहार उघारी।—तुलसी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहार :
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पुं० [सं० अवधार] वह कपड़ा जिससे पालकी, रथ आदि ढके जाते हैं। उदाहरण—सिविका सुभग ओहार उघारी।—तुलसी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहि, ओही :
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सर्व० [हिं० ओ० वह] १. उसको। उसे। २. उससे। उदाहरण—सादर पुनि पुनि पूछत ओही।—तुलसी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहि, ओही :
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सर्व० [हिं० ओ० वह] १. उसको। उसे। २. उससे। उदाहरण—सादर पुनि पुनि पूछत ओही।—तुलसी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहू :
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सर्व० [ओ=वह+हू=भी] वह भी। उदाहरण—पिता बचन मनतेउँ नहिं ओहू।—तुलसी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहू :
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सर्व० [ओ=वह+हू=भी] वह भी। उदाहरण—पिता बचन मनतेउँ नहिं ओहू।—तुलसी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहो :
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अव्य० [सं० अहो या अनु०] आश्चर्य या प्रसन्नता का सूचक एक अव्यय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओहो :
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अव्य० [सं० अहो या अनु०] आश्चर्य या प्रसन्नता का सूचक एक अव्यय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |