शब्द का अर्थ
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अंत्र :
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पुं० [सं०√अन्त् (बाँधना) +ष्ट्र्न] आँत, अँतड़ी। पुं० [सं० अन्तर] मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार का समन्वित रूप अंतःकरण। उदाहरण |
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अंत्र-कूज :
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पुं० [ष० त०] आँतों की गुड़गुड़ाहट। |
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अंत्र-कूजन :
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पुं०=अंत्र-क्रूज। |
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अंत्र-वृद्धि :
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स्त्री० [ष० त०] आँत उतरने का रोग। |
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अंत्रांडवृद्धि :
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स्त्री० [सं० अंड-वृद्धि, ष० त०, अंत्र-अंडवृद्धि, तृ० त०] अंडकोश या फोते में आँत का उतरना और इस कारण उसका फूल जाना। (रोग) |
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अंत्राद :
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पुं० [सं० अंत्र√अद् (खाना)+अण्] आँतों में उत्पन्न होने वाले कीड़े। |
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अंत्री :
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स्त्री० [सं० अंत्र ] अँतड़ी आँत।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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