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संभोग से समाधि की ओर

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संभोग से समाधि की ओर...


लेकिन बेटा नौ महीने तक मां की सांस से सांस लेता है। मां के हृदय से धड़कता है। मां के खून से खून, मां के प्राण से प्राण, उसका अपना कोई अस्तित्व नहीं होता है। वह मां का एक हिस्सा होता है। इसीलिए स्त्री मां बने बिना कभी भी पूरी तरह तृप्त नहीं हो पाती। कोई पति स्त्री को कभी तृप्त नहीं कर सकता, जो उसका बेटा उसे कर देता है। कोई पति कभी उतना गहरा कंटेंटमेंट उसे नहीं दे पाता जितना उसका बेटा उसे दे पाता है।

स्त्री मां बने बिना पूरी नहीं हो पाती। उसके व्यक्तित्व का पूरा निखार और पूरा सौंदर्य उसके मां बनने पर प्रकट होता है। उससे उसके बेटे के आत्मिक संबंध बहुत गहरे है।
और इसीलिए आप यह भी समझ लें कि जैसे ही सी मां बन जाती है, उसकी सेक्स में रुचि कम हो जाती है। यह कभी आपने ख्याल किया है? जैसे ही स्त्री मां बन जाती है, सेक्स के प्रति उसकी रुचि कम हो जाती है।
फिर सेक्स में उसे उतना रस मालूम नहीं पड़ता। उसने एक और गहरा रस ले लिया मातृत्व का। वह एक प्राण के साथ और नौ महीने तक इकट्ठी जी ली है। अब उसे सेक्स में रस नहीं रह जाता है।
अकसर पति हैरान होते हैं। क्योंकि पति के पिता बनने से पुरुषों में कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन मां बनने से सी में बुनियादी फर्क पड़ जाता है। पिता बनने से पति में कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि पिता कोई बहुत गहरा संबंध नहीं है। जो नया व्यक्ति पैदा होता है उससे पिता का कोई गहरा संबंध नहीं है।

पिता बिल्कुल सामाजिक व्यवस्था है, सोशल इंस्टीट्यूशन है।
पिता के बिना भी दुनिया चल सकती है, इसलिए पिता से कोई गहरा संबंध नहीं है बेटे का।
मां से उसके गहरे सबंध हैं और मां तृप्त हो जाती है उसके बाद। और उसमे एक और ही तरह की आध्यात्मिक गरिमा प्रकट होती है। जो मां नहीं बनी है स्त्री, उसको देखें और जो मां बन गई है, उसे देखें। और उन दोनों की चमक और उनकी ऊर्जा और उनका व्यक्तित्व अलग मालूम पड़ेगा। मां में एक दीप्ति दिखाई पड़ेगी-शांत। जैसे नदी जब मैदान में आ जाती है, तब शांत हो जाती है। जो अभी मां नहीं बनी है, उस स्त्री में एक दौड़ दिखेगी, जैसे पहाड़ पर नदी दौड़ती है। झरने की तरह टूटती है, चिल्लाती है, गड़गड़ाहट है, आवाज है, दौड है। मां बनकर वह एकदम शांत हो जाती है।

इसीलिए मैं आपसे इस संदर्भ में यह भी कहना चाहता हूं कि जिन स्त्रियों को सेक्स का पागलपन सवार हो गया है, जैसे पश्चिम में-वे इसीलिए मां नहीं बनना चाहती, क्योंकि मां बनने के बाद सेक्स का रस कम हो जाता है। पश्चिम की सी मां बनने से इनकार करती है, क्योंकि मां बनी कि सेक्स का रस गया। सेक्स का रस तभी तक रह सकता है, जब तक वह मां न बने।

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