लोगों की राय

अमेरिकी यायावर

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: author_hindi

Filename: views/read_books.php

Line Number: 21

निःशुल्क ई-पुस्तकें >> अमेरिकी यायावर

उत्तर पूर्वी अमेरिका और कैनेडा की रोमांचक सड़क यात्रा की मनोहर कहानी


आज सुबह निकलते समय मुझे कोई अनुमान नहीं था कि कनाडा के दूतावास में काम होने में कितनी देर लगेगी, लेकिन यह संभावना तो थी ही कि हम कम-से-कम टाइम्स स्क्वायर और राकेफेलर सेंटर देख पायेंगे, परंतु अब तो यहाँ बहुत कुछ देखा जा सकता था। मैनहटन का निचला भाग जहाँ हम स्टेच्यू आफ लिबर्टी देखने आये थे, तभी देख चुके थे, इसलिए अब तो अधिकतर मिड टाउन की जगहों को देखना था।
मेरा कुछ लालच यहाँ के म्यूजियम में पुरानी भारतीय वस्तुओं की झलक लेने का भी था। वाशिंगटन के म्यूजियम को देखने से यह निश्चित हो गया था, कि यहाँ के म्यूजियमों में जो पुरातत्व की वस्तुएँ रखी हैं, उन्हें सामान्य जगत में भारत में खोजना भी कठिन कार्य होगा। मैंने मेरी एन से पूछा, “आप यहाँ न्यूयार्क में क्या देखना चाहेंगीं?” वह तपाक से बोली, “टाइम्स स्कवेयर!” हम दोनों “एवेन्यू आफ अमेरिकास” जिसे कि “सिक्सथ एवेन्यू” भी कहते हैं, पर ही दक्षिण दिशा की ओर जा रहे थे। टाइम्य स्कवेयर असल में वेस्ट 38 स्ट्रीट से वेस्ट 46 स्ट्रीट तथा 6 एवेन्यू से 7 एवेन्यू के बीच के चौकोर क्षेत्र को कहते हैं। असल में हर वर्ष के अंत में 31 दिसम्बर की रात को नये वर्ष के स्वागत के लिए जहाँ एक बड़ी फूलों और फीतों आदि से भरी गेंद गिरायी जाती है वह क्षेत्र तो 42 वीं स्ट्रीट और 6 ठी एवेन्यू के बीच का है, परंतु टाइम्स स्क्वेयर की प्रसिद्धि का लाभ उठाने के लिए दुकानों और शो रूमों ने धीरे-धीरे टाइम्स स्कवेयर की सीमाओं को 8 स्ट्रीट और 2 एवेन्यू के आकार का कर लिया है।
सुबह का साढ़े ग्यारह बज रहा था और हल्की-हल्की भूख लगने लगी थी। ऐसी स्थिति में मैंने मेरी एन से पूछा, “खाने के बारे में आपका क्या ख्याल है?” मेरी एन अब पहले से बहुत अधिक उत्साहित दिख रही थी। वह चहक कर बोली, “कुछ अच्छा खाते हैं। तुम क्या खाना चाहोगे?।” उत्तर में मैं बोला, “मैं सब कुछ खा सकता हूँ, बस केवल शाकाहारी होना चाहिए।” मेरी एन की आँखे सिकुड़ गईं और उसने मुझसे पूछा, “क्या तुम वेजीटेरियन हो?” मैंने स्वाभाविक रूप से उत्तर दिया, “हाँ।” उसने फिर पूछा, “चिकन भी नहीं? मैं बोला, “नहीं।” उसने फिर पूछा, “समुद्री भोजन तो करते ही होगे?” मैंने फिर कहा, “क्यों नहीं, परंतु जब तक वनस्पतिजन्य हो तभी तक।” उसने फिर पूछा, “मछली?” मैंने तुरंत कहा, “यह समझ लो हर वो चीज जो अपने आप चल फिर सकती है उसे नहीं खाता, साथ ही अण्डे भी नहीं।” उसके चेहरे पर अविश्वास के भाव व्याप्त थे जो कि धीरे-धीरे उलझन में परिवर्तित होते जा रहे थे। अंततोगत्वा उससे रहा नहीं गया और वह बोल पड़ी, “दूध की चीजें?” मैंने सहर्ष कहा, “हाँ, दूध की चीजें तो बड़े प्रेम से खाता हूँ।” वह बोली, “इसका मतलब चीज़ खा सकते हो?” मैंने कहा, “हाँ, और आइसक्रीम, चॉकलेट आदि भी!” वह फिर से बोली, “तो तुम्ही बताओ कि तुम क्या खा सकते हो? मेरी तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है। जो कुछ भी मैं खाने की अभ्यस्त हूँ, उनमें से तो तुम बहुत कम चीजें खाते हो।”
मैंने उससे कहा, “मेरे कारण तुम क्यों परेशान होती हो। तुम्हें जो अच्छा लगे तुम वह खाओ।” मैं अपनी रुचि के अनुसार ले लूँगा। वह बोली, “हाँ, वह तो कर सकते हैं, पर तुम क्या खाना चाहते हो?”
मैंने अपने फोन में गूगल पर आस-पास खाने के रेस्तरां देखने आरंभ किये। न्यूयार्क शहर में निश्चित रूप से हजारों रेस्तरां होंगे। पाश्चात्य भोजन में सबवे या चिपोटले अधिक रुचिकर हैं क्योंकि इन दोनों स्थानों पर आप अपनी देख-रेख में सैंडविच बनवा सकते हो। यह तो सभी को मालूम है कि न्यूयार्क में कई अच्छे भारतीय रेस्तराँ हैं। हम अभी-अभी अपने पीछे “उत्सव” छोड़कर आये थे और आगे मिलने वाले रेस्तरां “काटी रोल”, “बाम्बे एक्सप्रेस” और इनके अतिरिक्त “माओज वेजिटेरियन” नामक मेडिटरेनियन रेस्तराँ काम के हो सकते थे।  मैंने मेरी एन से कहा, “मैं तो शाकाहारी भोजन ही लूँगा, पर आपके लिए किस प्रकार का देखूँ?” मेरा अनुमान था कि वह चिकन तो अवश्य खाना चाहेगी, इस लिहाज से माओज वाला शुद्ध शाकाहारी खाना उतना उपयुक्त नहीं रहेगा। गूगल के सुझावों के अनुसार “माओज” एक मध्य एशिया (मेडिटरेनियन) के भोजन वाला भोजनालय था। इसके विपरीत “काटी रोल” के भोजन में चिकिन काटी रोल भी मिल रहा था।
मेरी एन बोली, “तुमको जहाँ खाना है, वहाँ चलो मुझे भी कुछ-न-कुछ मिल ही जायेगा।” मुझे उसकी चहक भरी आवाज सुनकर अच्छा लगा। मैंने जिस समय कनाडा के न्यूयार्क स्थित दूतावास में वीसा के बारे में फार्म भरा था, उस समय मुझे अंदाजा नहीं था कि हमें न्यूयार्क में इतना समय मिल जायेगा। सही बात तो यह है कि दुनिया के नक्शे पर न्यूयार्क संभवतः सबसे अधिक प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। मेरी लापरवाही, वीसा की चिंता और न्यूयार्क के महत्व को ठीक से न समझने के कारण इस विषय में मैंने कोई विशेष योजना नहीं बनाई थी। शायद मेरी एन का भी यही हाल था, परंतु अब जब हम न्यूयार्क में घूम रहे थे तो मैं सोच रहा था कि न जाने कितने लोग इस प्रसिद्ध शहर में घूमने आना चाहते हैं। जीवन में कभी-कभी ऐसी स्थिति भी हो जाती है कि बिना किसी योजना, कामना और प्रयास के हमें समाज की दृष्टि में प्रशंसित कार्य करने का अवसर मिल जाता है। हमें इस विश्व प्रसिद्ध शहर में दिन भर के लिए घूमने को मिला था, और अपनी इस अनचाही उपलब्धि का आनन्द मिल रहा था।
अंत में जो भोजनालय हमारे सबसे पास था, हम उसी में चले गये। सीधे एवेन्यू आफ अमेरिका पर उतरते हुए हमें उनतालीसवीं स्ट्रीट पर बायीं ओर जाने पर “काटी रोल” दिखा। मैंने अंदर जाकर अपने लिए एक चने की सब्जी वाला और एक मिली-जुली सब्जियों वाला काटी रोल माँगा। मेरी एन की ओर देखते हुए मैंने काउंटर पर खड़े व्यक्ति से कहा, “एक चिकन काटी रोल दो” और फिर पलट कर मेरी एन से पूछा, “आप दूसरा काटी रोल कौन सा लेना चाहेंगी?” मेरी एन बोली, “मैने तुम्हें पहले ही कहा था कि तुम पसंद करोगे, पर मुझे चिकन नहीं चाहिए। जो तुम ले रहे हो वही मेरे लिए भी ले लो।” मैंने कहा, “यदि आप नित्य प्रति मांसाहारी भोजन ही करती हैं, तब भारतीय ढंग से बने हुए भोजन को खाकर देखिए कि इसका स्वाद कैसा है।” अंत में उसने एक चिकन का काटी रोल और दूसरा मिली-जुली सब्जियों वाला काटी रोल लिया। लग रहा था कि यह दुकान आस-पास बहुत प्रसिद्ध थी, क्योंकि लोग एक-के-बाद एक लगातार आ रहे थे। हाँ, अधिकतर आने वाले खाना लेकर चले जाते थे। हमें ले जाने की कोई जल्दी नहीं थी, साथ ही मैं गरमा-गरम भोजन ही करना चाहता था। हम दोनों लोगों ने तो अपने पीने के लिए पानी ही लिया, परंतु मेरा ध्यान गया था कि कई लोग बियर भी ले रहे थे।
दिन में बियर आदि पीना मुझे कुछ अटपटा-सा लगता था, परंतु इतने दिनों से अमेरिका में रहते हुए मैं यहाँ के जीवन की ऐसी बातों से अभ्यस्त हो गया था। वहाँ पर पड़ी एक बैंच और एक ऐसी मेज जिस पर मुश्किल से दो लोग अपना खाना रख सकें, बैठने के बाद हम अपने भोजन का इंतजार करने लगे। अचानक मुझे विचार आया कि मैंने मेरी एन से तो पूछा ही नहीं, हो सकता कि वह बियर पीना चाहती हो। इस प्रश्न के उत्तर में वह बोली, “फ्राँस में तो लोग दिन में भी बियर और वाइन आदि पीते हैं, पर मुझे इतनी पसंद नहीं हैं। यहाँ आने के बाद तो मैं और भी कम अलकोहल के पेय लेने लगी हूँ।”
इस बीच मेरी एन अचानक उठी और काउण्टर पर खड़े व्यक्ति के पास जाकर पूछने लगी, “बाथरूम कहाँ है?” उसने अपने दायीं ओर इशारा किया, जिसके अनुसार वह उसी दिशा में चली गई। जब तक वह लौटी, तब तक मैं काटी रोल लेकर और फ्रिज से पानी की बोतलें निकाल कर बैंच पर बैठ ही रहा था। आते ही वह बोली, “इतना साफ नहीं था।” उसकी यह बात सुनकर मुझे अपराध-बोध हुआ जैसे कि बाथरूम साफ रखना मेरी जिम्मेदारी हो, पर असल में मुझे भारतीय लोगों के तौर-तरीके पर शर्म आ रही थी। मैंने उससे कहा, “यदि आपने पहले बताया होता तो कैनेडा के दूतावास में साफ-सफाई की आशा अधिक थी।“ वह बोली, “हाँ, वह तो है। पर चलता है।”

...Prev | Next...

To give your reviews on this book, Please Login

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai