अमेरिकी यायावर
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उत्तर पूर्वी अमेरिका और कैनेडा की रोमांचक सड़क यात्रा की मनोहर कहानी
यह बात तो ठीक है कि, अब समय पहले जैसा नहीं रहा, जब लड़के और लड़कियों में
बहुत अतंर होता था। परंतु, मैं एक छोटे नगर में पला-बढ़ा हूँ, इसलिए सामान्य
परिस्थितियों में बात-चीत करने और घूमने-फिरने आदि के मामलों में महिलाओं की
जगह पुरुष मित्र अधिक पसंद करता हूँ, क्योंकि मेरा अनुभव है कि आम तौर पर
लड़कियों की जिंदगी और स्वभाव दोनों ही बड़े पेचीदा होते हैं। यहाँ तो अमेरिका
में रहने वाली लड़की की बात है, पता नहीं कौन-कौन सी बातों का ख्याल रखना होगा,
जिनके बारे में किसी लड़के के साथ यात्रा करने का कार्यक्रम बनाते हुए शायद मैं
एक बार भी विचार नहीं करता!
मेरी दृष्टि में यात्रायें तीन तरह की होती हैं। पहली जिसमें आप किसी-न-किसी
उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं। इस यात्रा में
लगभग सारा कार्यक्रम सुनियोजित होता है। कहाँ से जाना है, कहाँ जाना है, किस
स्थान पर ठहरना है इन सबकी पहले से योजना बनाई जाती है। इस यात्रा की सफलता इस
बात पर निर्भर होती है कि सभी काम सही समय पर हों, अपेक्षित सुविधाएँ बनी रहें।
यदि कोई भी कार्य समय पर न हुआ तो बहुत मंजे हुए यात्रियों को छोड़कर लगभग सभी
लोग तनाव में आ जाते हैं। रेल या हवाई जहाज समय पर न मिलें, मार्ग में यातायात
आदि हो तो इस प्रकार की यात्रा दुष्कर और अत्यधिक परेशान करने वाली हो जाती है।
दूसरे प्रकार की यात्रा अधिकतर लोग सैर सपाटे के लिए परिवार के साथ करते हैं।
इस यात्रा का मुख्य ध्येय आनन्द और यात्रा में सुख प्राप्ति करना होता है।
तीसरे प्रकार की यात्रा वे लोग करते हैं जो यात्रा के लिए यात्रा करते हैं।
यात्रा से उनको किसी विशेष परिणाम की अपेक्षा नहीं होती, जो कुछ यात्रा में
होता है, उसी का आनन्द है। इस प्रकार के लोग कई स्थानों पर यात्रा करते हुए
लक्ष्य पर पहुँचते तो हैं, परंतु स्वाभवतः वे यात्रा के हर पहलू में आनन्द लेते
हैं। उन्हें किसी भी स्थान पर रुकने या छोड़ने की कोई व्यग्रता नहीं होती।
यात्रा में होने वाली कोई भी कठिनाई उनके लिए कठिनाई नहीं होती। उनके लिए
यात्रा सुख का साधन भी है और साध्य भी। इस प्रकार के लोगों को यायावर के नाम से
जाना जाता है।
मैं कुछ सीमा तक यायावर हूँ और इस रूप में यह मेरी पहली स्वतंत्र यात्रा है।
मेरी एन किस प्रकार की यात्री है और उसकी इस यात्रा से क्या अपेक्षाएँ है यह तो
साथ यात्रा करने पर ही पता चलेगा। इसलिए कुल मिलाकर, यात्रा की योजना सोच समझकर
और इन बातों को ध्यान में रखते हुए बनानी पड़ेगी।
मैं आशा कर रहा था कि अपने साथी के साथ रुकने वाले सभी स्थानों पर दो पलंगों
वाले कमरे का चुनाव करके, हम अपनी यात्रा में होटल के खर्चे को ठीक आधा कर
देंगे। परंतु, एक लड़की के साथ यात्रा करने में ऐसा करना संभव नहीं था। यह भी
जानना आवश्यक था कि वह कितने दिनों के लिए जाना चाहती है, मेरी इच्छा तो कम से
कम पूरे दो सप्ताहों तक भ्रमण करने की थी। मैंने अपनी यात्रा की एक रूपरेखा बना
रखी थी। किन-किन नगरों में जाया जा सकता था, इस बारे में एक ढीला-ढाला प्रारूप
मेरे मस्तिष्क में था, परंतु अब कैनेडा के नगरों के बारे में भी सोचना था। उस
संबंध में कई पहलुओं पर विचार करना था।
मेरा अंदाजा था कि मेरी एन भी, यहीं किसी-न-किसी छात्रावास या व्यक्तिगत आवास
में रहती होगी, यह सोचकर मैंने उससे मिलकर बात करना ही ठीक समझा। एक बात और भी
थी कि, जिस व्यक्ति के साथ मैं लगभग पंद्रह दिन और रातें बिताने वाला था, उससे
रू-ब-रू मिलना और उसके साथ अपने विचारों का कम-से-कम कुछ हद तक मिलाना अत्यंत
आवश्यक था। यदि हममें से, किसी को भी दूसरा व्यक्ति सहज ही पसंद नहीं आया, तब
तो किसी और का साथ देखना ही होगा, अन्यथा यात्रा आनन्ददायी होने की बजाय
कष्टकारी हो सकती थी।
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